सुपरपावर ने युद्ध दिए तो विश्वगुरु ने दी योग,अध्यात्म,शांति और अहिंसा

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नई दिल्ली (सुधीर सलूजा/ सानिध्य टाइम्स) भारतीय नव वर्ष प्रतिपदा उत्सव विक्रमी संवत 2082 के अवसर पर रामजस कॉलेज सभागार में बड़ी संख्या में उपस्थित दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक समुदाय को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख भारत भूषण अरोड़ा ने कहा कि भारत की महान परम्परा और विरासत रही है जिसने दुनिया को योग ,अध्यात्म , शांति और अहिंसा दी है। भारत कभी युद्धप्रिय देश नहीं रहा। उन्होंने कहा कि जो अपने को सुपरपावर कहते हैं उन्होंने लगातार दुनिया को युद्ध में धकेला है जिससे अशांति और हिंसा बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध और गौरवशाली परंपरा रही है हालांकि कालांतर में इस पर आघात हुए और देश में जिसके कारण कई कुरीतियों ने भी जन्म ले लिया। जातिवाद और उसके कारण पैदा हुआ छुआछूत इसी की देन है।आज समय आ गया है कि समाज में समरसता का वातावरण बने और किसी भी रूप में भेदभाव न रहे। उन्होंने कहा कि कुआं, मंदिर और श्मशान में छुआछूत नहीं होना चाहिए।सभी नागरिकों से इन स्थानों पर समान व्यवहार होना चाहिए।समाज में एकता का भाव इस छुआछूत को दूर करके ही स्थापित होगा।

उन्होंने बताया कि बाला साहब देवरस ने जाति व्यवस्था को एक प्रकार की अव्यवस्था बताया था और इसे दूर करने पर जोर दिया था।सह संपर्क प्रमुख ने संघ के पंच परिवर्तन का उल्लेख करते हुए बताया कि समरसता के साथ संघ पर्यावरण, स्व, कुटुंब प्रबोधन और नागरिक कर्तव्य के लिए निरंतर गतिविधियों का आयोजन कर रहा है। संघ के संगठनो की दिनचर्या में पंच परिवर्तन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण आज की जरूरत है। यदि आज पर्यावरण पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति ने अपनी सुविधा के लिए हवा पानी और जमीन सभी को दूषित कर दिया है जिसके कारण कई तरह की बीमारियां पैदा हो रही हैं।उन्होंने बताया कि भारत में त्यागपूर्ण उपभोग की जीवन शैली रही है।आज अत्यधिक उत्पादन के कारण उपभोक्तावाद बढ़ता जा रहा है और व्यक्ति जरूरत से अधिक उपभोग की जीवन शैली अपना रहा है।इस प्रवृति को बदलना चाहिए।

सह संपर्क प्रमुख ने चिंता जताई कि भारत में एकल परिवार की संस्कृति को अपनाने से परिवार बिखर रहे हैं और परिवारों संवाद की कमी के साथ कलह भी बढ़ रही है। आज जरूरी है कि परस्पर परिवार के लोगों में संवाद स्थापित हो। मोबाइल के कारण एक ही में चार व्यक्ति आपस में बात करने की बजाय फोन में व्यस्त रहते हैं जिसके कारण पारिवारिक संवाद नहीं होता।आज फोन पार्किंग की जरूरत है ताकि सभी फोन को एक निश्चित समय एक जगह रखकर आपस में बातचीत की जा सके।
भारत की महान परम्परा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आज फिर से विश्वगुरु बनने के लिए स्व का भाव अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने आहवान किया कि भारत को ढूंढो और भारत को जानो ।स्वदेशी से भारत का विकास होगा और भारत मजबूत होगा। प्रत्येक नागरिक को अपने कर्तव्य का निर्वाह करना होगा ताकि देश विकास की राह पर तेजी से बढ़ सके। सह संपर्क प्रमुख ने शिक्षकों के समक्ष दो प्राथमिकताओं पर ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत में आज भी बीस प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे गुजारा करती है। हमें उनके लिए जो भी बन सके करना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर उन्होंने शिक्षकों से कहा कि विद्यार्थी को इतना सक्षम बनाया जाए कि वह रोजगार देने की क्षमता रखें।

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