गुरुग्राम। पर्यावरण संरक्षण विभाग भाजपा हरियाणा प्रमुख एवं एक भारत श्रेष्ठ भारत कमेटी हरियाणा प्रदेश के सह-संयोजक नवीन गोयल ने मंगलवार को दशहरा पर्व पर फिरोजगांधी कालोनी-2 समेत कई दशहरा उत्सवों में शिरकत की। उन्होंने विभिन्न रामलीला कमेटियों के बुलावे पर उनके कार्यक्रम में जाकर इस पर्व की बधाई दी और लोगों को बुराइयां त्यागने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर फिरोजगांधी कालोनी-2 में सतीश चोपड़ा, रामपाल चोपड़ा, कर्म सिंह पांचाल, प्रेम सिंह पांचाल, चेतराम, सोमपाल, भल्ले प्रधान, मामचंद, ललित, सचिन, राकेश जाटव, अजीत जाटव, दया चौधरी, नरेश कटारिया समेत सेंकड़़ों लोग मौजूद रहे। नवीन गोयल ने कहा कि गुरुग्राम में दशहरा पर्व का इतना उत्साह रहा कि यहां की हर गली में बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ रावण के पुतले दहन किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भी यही सपना है कि अंतोदय तक पहुंच हो। हर त्योहार समाज के अंतिम व्यक्ति के बीच मनाए जाएं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलकर हम समाज को बेहतर बनाएं, ऐसे प्रयास हम कर रहे हैं। नवीन गोयल ने कहा कि विजय दशमी बहुत ही शुभ और ऐतिहासिक पर्व है। लोगों को इस दिन अपने अंदर के रावण पर विजय प्राप्त कर खुशी के साथ यह पर्व मनाना चाहिए। वो सतयुग का दौर था, जिसमें केवल एक रावण का अस्तित्व था। जिस पर भगवान राम ने विजय प्राप्त की थी। अब हम कलयुग में रह रहे हैं। अब बहुत रावण हो गये हैं। इतने रावण पर विजय प्राप्त करना आसान नहीं है।उन्होंने कहा कि बुराई क्रोध, असत्य, वैर, ईष्या, दु:ख, आलस्य आदि रूपों में हो सकती है। किसी भी आतंरिक बुराई को खत्म करना भी एक आत्म विजय है। हमें प्रति वर्ष अपने में से इस तरह की बुराई को खत्म कर विजय दशमी के दिन इसका जश्न मनाना चाहिये, जिससे एक दिन हम अपनी सभी इन्द्रियों पर राज कर सकें। उन्होंने कहा कि यह बुरे आचरण पर अच्छे आचरण की जीत की खुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार है। नवीन गोयल ने कहा कि रावण चार वेदों का ज्ञाता महाबलशाली राजा था। जिसकी सोने की लंका थी। साथ ही उसमें अपार अहंकार भी था। वो महान शिव भक्त था और खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन बताता था। पुराणों में लिखा है कि रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे एवं माता राक्षस कुल की थी। इसलिए रावण में एक ब्राह्मण के समान ज्ञान था। एक राक्षस के समान शक्ति और इन्ही दो बातों का रावण में अहंकार था। जिसे खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि यह पर्व आपसी रिश्तों को मजबूत करने एवं भाईचारा बढ़ाने के लिए भी होता है। व्यक्ति अपने मन में भरे घृणा एवं वैर के मेल को साफ कर एक दमसरे से एक त्यौहार के माध्यम से मिलता है। नवीन गोयल ने कहा कि हमारे देश में धार्मिक मान्यताओं के पीछे बस एक ही भावना होती है और वो है प्रेम एवं सदाचार की भावना। यह पर्व हमें एकता की शक्ति याद दिलाते हैं, जिन्हें हम समय की कमी के कारण भूलते ही जा रहे हैं। ऐसे में यह त्यौहार ही हमें अपनी नींव से बांधकर कर रखते हैं।
You May Also Like
More From Author
आध्यात्मिकता से ही विश्वगुरु बनने का ख्वाब होगा पूरा : अभय कुमार
November 27, 2024
मानव से प्रेम ही ईश्वर प्रेम है- निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
November 18, 2024
+ There are no comments
Add yours