संघ विश्व में सर्वाधिक सेवा कार्य करने वाला संगठन : मुकुल कानिटकर

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नई दिल्ली( सुधीर सलूजा / सानिध्य टाइम्स ) इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र प्रतिवर्ष भारत मंथन का आयोजन करता आ रहा है। इस वर्ष 2025 में संघ अपने 100 वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। इस यज्ञ में सबसे पहले इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र ने भारत मंथन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय सत्व जागरण के 100 वर्ष’ की समिधा दी। संगोष्ठी नॉन कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड (दिल्ली विश्वविद्यालय) संस्कृत एवं प्राचीन विद्या अध्ययन संस्थान (जेएनयू) हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (धर्मशाला) हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (महेंद्रगढ़) के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुई।


इस संगोष्ठी का आयोजन 26 अप्रैल और 27 अप्रैल 2025 को किया गया। इस द्विदिवसीय संगोष्ठी को सात भागों में बांटा गया। प्रथम उद्घाटन सत्र, द्वितीय एवं तृतीय प्रपत्र प्रस्तुति एवं चतुर्थ सत्र समापन सत्र रहा। 27 अप्रैल 2025 को वैचारिक उद्बोधन से सत्र का आरंभ हुआ उसके बाद प्रपत्र प्रस्तुति एवं समापन सत्र रखा गया।


26 अप्रैल 2025 के उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर बलराम पाणी (अधिष्ठाता महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय) मुख्य वक्ता प्रोफेसर ब्रजेश कुमार पांडेय (रेक्टर -1,जेएनयू ) रहे। इस सत्र की अध्यक्षता रामजस महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) के प्राचार्य ने की।


संगोष्ठी के आरंभ में पहलगाम की हुतात्माओं को मौन श्रद्धांजलि दी गई। इसके पश्चात मंत्रों के साथ दीप प्रज्ज्वलन किया गया। संगोष्ठी में प्रोफेसर बलराम पाणी ने कहा – राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचना है। परम वैभव तक पहुंचाने के लिए चरित्रवान व्यक्ति का निर्माण आवश्यक है और व्यक्ति के चरित्र का निर्माण संघ और संघ की शाखा में किया जाता है। प्रो. ब्रजेश पांडेय ने सत्व के जागरण की बात की और कहा कि जिस देश में सत्व विस्मृत हो जाए तो वह देश पराधीन हो जाता है इसलिए आज सत्व जागरण की बात की जा रही है।
26 अप्रैल 2025 के समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार (कुलपति हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय) मुख्य वक्ता डॉ. किस्मत कुमार (सह- कार्यवाह, उत्तर क्षेत्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) अध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार खन्ना (इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) रहे। सभी ने मूल रूप से व्यक्ति निर्माण पर बल दिया। डॉक्टर किस्मत कुमार ने गुरु हेडगेवार को कोर्ट करते हुए कहा कि हिंदू समाज का मूल, सबल समाज का निर्माण करना है। हिंदुत्व, भारत के जीवन जीने का आचरण है जो व्यक्ति के भीतर भक्ति और शक्ति दोनों का निर्माण करता है। संगोष्ठी का अंत कल्याण मंत्र के साथ हुआ।


भारत मंथन 27 अप्रैल 2025 के आरंभ में सभी मंचासीन वरिष्ठ वक्ताओं ने भारत माता को पुष्पांजलि अर्पित की। प्रथम सत्र में आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों श्रीमान लक्ष्मी नारायण भाला जी, डॉ किस्मत कुमार, श्रीमान अजय जी ने 60 70 एवं 80 के दशक के आमंत्रित वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के विशिष्ट अनुभवों से नए स्वयंसेवकों को समृद्ध करते हुए राष्ट्र निर्माण और जागरण के लिए प्रेरित किया।


संगोष्ठी के अगले भाग में मुख्य वक्ता श्री अनिल कुमार गुप्ता (प्रांत कार्यवाहक दिल्ली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) विशिष्ट अतिथि प्रो. सत्य प्रकाश बंसल (कुलपति हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय) अध्यक्ष प्रो. योगेश सिंह (कुलपति दिल्ली विश्वविद्यालय) ने अपने वक्तव्य से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। माननीय अनिल गुप्ता जी ने यह बताया कि हिंदू और संघ ‍को लेकर किस तरह गलत नैरेटिव पश्चिम से आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस गलत नैरेटिव को तोड़कर हिंदू राष्ट्र ‌का निर्माण ही संगठन का उद्देश्य है। हेडगेवार जी ने अपने अनुयायी नहीं बनाए बल्कि प्रत्येक स्वयं सेवक संघ में एक हेडगेवार दिखाई देता है। संघ एक दृष्टि है।


विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सत्य प्रकाश बंसल ने अपने वक्तव्य में इंडिया से भारत की ओर उन्मुख होने की सकारात्मक दृष्टि पर बातचीत करते हुए कहा कि जब से इंडिया भारत बना है संपूर्ण विश्व भारत की ओर देखने लगा है। सत्र के अध्यक्ष प्रोफेसर योगेश सिंह ने अपने विभिन्न अनुभवों से श्रोताओं को समृद्ध करते हुए बताया कि संघ एक ईश्वरीय कार्य है, जहां किसी भी कार्य का कोई तुरंत परिणाम नहीं मिलता जिस तरह वृक्ष लगाने पर तुरंत फल नहीं मिलता।


भारत मंथन के समापन सत्र के मुख्य वक्ता मुकुल कानिटकर जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए बताया कि संगठन का कार्य संगठित करना है। हिंदू होना मंदिर जाना नहीं है बल्कि जो इस देश को अपना मानता है वह हिंदू है चाहे वह किसी भी देवता की पूजा करता हो। हिंदू एक कांसेप्ट है।


संगोष्ठी में 130 शोध पत्रों का वाचन किया गया जिसकी अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न वरिष्ठ लोगों द्वारा की गई। संगोष्ठी में आए विभिन्न शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं अन्य प्रबुद्ध जनों को मिलाकर कुल संख्या 900 रही।
भारत मंथन को समापन की ओर ले जाते हुए प्रो. गीता भट्ट जी ने अपने सभी सहयोगी, संस्थाओं, उनके प्रमुखों एवं अतिथियों, कार्यकर्ताओं, आयोजन समिति के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया

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