पानीपत, नेपाली श्रद्धालु राजन रेगमी (टीकापुर नेपाल) ने भक्ति भाव के महाकुंभ निरंकारी संत समागम में कविता पाठ कर संदेश दिया। धर्म सफल और सार्थक जीवन का आधार है।धर्म के मायने प्रेम, करुणा और सद्भावना है। उसका प्रतीक फिर चाहे राम हों, रहीम, बुद्ध हों या महावीर, कृष्ण हों । धर्म दीवार नहीं, द्वार है । सभी धर्मो का प्रस्थान बिंदु एक है-वह है मानवीय एकता और आध्यात्मिकता, जो हर व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के साथ समाज को सर्वागीण उन्नति की पृष्ठभूमि प्रदान करे।मनुष्य जिस आदर्श समाज के लिए तरस रहा है, वह मनुष्य-स्वभाव को अध्यात्म की दिशा में मोड़े बिना संभव नहीं है। अध्यात्म की भूमिका में ही सत्य, न्याय, क्षमा, आत्मसंयम, संवेदनशीलता और स्वार्थ व त्याग जैसे जीवन मूल्य पनपते हैं। धर्म का अर्थ है वैज्ञानिक आधार पर जीवन और जगत के सूक्ष्म रहस्यों को समझना। पूर्ण पुरुषों, ज्ञानीजनों और शास्त्रों द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना। देश का अच्छा नागरिक वह है जो शासन को समझता है और शासन के नियमों का पालन करता है। जो अच्छा नागरिक बनता है वह सहज ही धार्मिक बन जाता है। व्यक्तिगत विकास, परिवार की सुसंस्कारिता और अच्छे समाज की संरचना ये सब धर्म के ही मधुर फल हैं।
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