नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अम्बेडकर कॉलेज में हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के द्वारा मीडिया नेरेटिव : मिथक और वास्तविकता विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रुप में लेखक और वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय उपस्थित हुए। उन्होंने मीडिया के छात्रों को सूचनातंत्र में प्रचलित हो रही पूर्व- प्रायोजित खबरों एवं धारणाओं की वास्तविकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी ।
कॉलेज के प्राचार्य प्रो.रबींद्रनाथ दुबे ने स्वागत संबोधन देते हुए कहा कि वर्तमान समय में मीडिया का स्वरूप तेजी से बदल रहा है, आज मीडिया एक विशेष से वर्ग से अलग होकर आम लोगों तक पहुंच चुका है, जिससे नेरेटिव गढ़ना अधिक आसान हो गया है।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बिजेंदर कुमार ने बताया कि आज हम उपभोक्ता के साथ – साथ खबरों के उत्पादक भी बन चुके हैं, लेकिन खबरों और सूचनाओं को प्रेषित करते समय उसकी सत्यनिष्ठा एवं तथ्यपरकता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। किसी भी वर्ल्ड नैरेटिव को बनाने में पश्चिमी मीडिया सबसे आगे रहता है जो दुनियाभर के सूचनातंत्र को प्रभावित करती है।
उमेश उपाध्याय ने कहा कि अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए पश्चिमी देश स्वयं को समाज सुधारक और दूसरों को असभ्य तथा अविकसित साबित करते हैं। किंतु आज पाश्चात्य धारणा के विपरीत भारतीय मीडिया देश की दिशा एवं दशा को बदलने में पुरजोर कार्य कर रही है।
मीडिया नैरेटिव को लेकर प्रचलित मिथकों से पर्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया को विशेष वर्गों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो प्रभावशाली व्यक्ति होते हैं या पूंजीपति होते हैं। इन्होंने अपनी पुस्तक “वेस्टर्न मीडिया नेरेटिव ऑन इंडिया फ्रॉम गांधी टू मोदी” का जिक्र करते कहा कि मीडिया की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण है, पश्चिमी प्रोपेगैंडा का विकास। तीसरी दुनिया के देशों को विश्वस्तर पर पिछड़ा हुआ दिखाने के लिए पश्चिमी देश झूठे आकड़ों को बढ़ा – चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं।
कार्यक्रम में प्रो राजेश उपाध्याय, प्रो सुजीत कुमार,प्रो राजबीर वत्स, प्रो ममता यादव, प्रो दीपाली जैन, प्रो पूनम मित्तल, प्रो नरेंद्र ठाकुर प्रो महादेव मीना , प्रो चित्रा सिंह और प्रो नीरव समेत अनेक शिक्षक और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में प्रो. ममता ने धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यक्रम का संचालन सह – संयोजिका प्रो. शशि रानी ने किया।
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