नई दिल्ली (सुधीर सलूजा/ सानिध्य टाइम्स) डॉ. भीमराव अम्बेडकर महाविद्यालय के भूगोल विभाग ने ‘स्वास्थ्य एवं कल्याण’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का मूल विषय ‘स्वास्थ्य और कल्याण की भौगोलिक स्थिति: बदलते वैश्विक परिदृश्य में समावेशी और प्रासंगिक समाज का निर्माण’ था। यह सम्मेलन भूगोल, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के आपसी संबंधों पर केन्द्रित रहा जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों के प्रख्यात विद्वानों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. बरक़तुल्लाह ख़ान, मुख्य वक्ता के रूप में जेएनयू प्रोफेसर कौशल कुमार शर्मा उपस्थित रहें। विशिष्ट अतिथियों के रूप में प्रो. मीना पांडे और एनडीटीवी की वरिष्ठ पत्रकार नगमा सहर ने सम्मेलन में भाग लिया। व्यवहारिक ज्ञान के लिए सम्मेलन में आठ तकनीकी सत्र भी रखा गया। इस दौरान ‘टोपोफीलिया’ नामक पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. बरक़तुल्लाह ख़ान ने कहा कि वैश्विक कल्याण के समान ही स्थानीय कल्याण का भी महत्व होता है। भूगोल की परंपरागत शोध प्रणाली के बारे में बताया कि डिजिटल डाटा और उपग्रहों के माध्यम से शोध करते हुए, आज हम आधुनिक तकनीक तक पहुंच चुके हैं। उन्होंने युवाओं को प्रोत्सहित करते हुए कहा कि भूगोल को विकसित करने में आपकी ही भूमिका निर्णायक है।
प्रो. कौशल शर्मा ने स्वास्थ्य एवं कल्याण विषय पर अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य एवं सामाजिक कल्याण इतिहास, संस्कृति और अस्तित्व से परस्पर संबंधित होता है। प्रत्येक समाज के लिए स्वास्थ्य व कल्याण के पैमाने भिन्न होते हैं। उन्होंने प्रकृति और समाज के मध्य संतुलन की अनिवार्यता होने का विचार रखते हुए कहा कि मानव के मस्तिस्क का संतुलन महत्वपूण है। वक्तव्य को विराम देते हुए कहा कि आनंद, सुख और स्वास्थ्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण है एवं कोई भी शक्ति प्रकृति से बड़ी नहीं है।
पत्रकार नगमा सहर ने पर्यावरण पर श्रोताओं का ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि आज का विकास समावेशी नहीं है, बल्कि यह अत्यंत चुनौतिपूर्ण है। वर्तमान में हम सतत विकास की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। विकास और जीवन की राह में हर कदम पर भूगोल हमारे चुनावों को प्रभावित करता है। भूगोल पर मीडिया की भूमिका के महत्व को बताते हुए उन्होंने संबोधन को समाप्त किया।
सम्मेलन के दूसरे दिवस पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के विद्वानों ने स्वास्थ्य, समाज और भूगोल जैसे विविध विषयों पर शोध पत्र पढ़ा। प्रो. एम एल मीणा ने अपने वक्तव्य में कहा कि पर्यावरण में सतत विकास सामाजिक कल्याण का पैमाना है। उन्होंने विश्व की स्वास्थ्य नीतियों का अवलोकन करते हुए बताया कि विकसित देशों की स्वास्थ्य नीतियां विकासशील देशों से पूर्णता भिन्न एवं प्रभावशाली हैं। संपूर्ण सम्मेलन में 100 से अधिक शोध पत्र पढ़े गए।
आयोजन सचिव डॉ. तुलिका सनाढ्य, कार्यक्रम संयोजक प्रो. रियाज़ुद्दीन ख़ान, मंच संचालक डॉ मोनिका अहलावत, डॉ तारा शंकर और डॉ अंजलि भाटी आदि सम्मेलन में उपस्थित रहें। प्राचार्य प्रो सदानंद प्रसाद ने सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि वर्तमान समय में आदर्श समाज के लिए अच्छा स्वास्थ्य होना आवश्यक है।
+ There are no comments
Add yours