समालखा (सुधीर सलूजा) ‘‘हर एक इंसान चाहता है कि विश्व में शांति हो, सुकून हो, हर कोई सुकून की जिंदगी जी पाये। वास्तविक रूप में यह तभी सम्भव है जब हम अपने अंतर्मन में पहले सुकून ले आयें।’’ उक्त उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने 28 अक्तूबर, 2023 को 76वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के शुभारम्भ में मानवता के नाम दिये सन्देश में व्यक्त किए।
‘सुकून अंतर्मन का’ शीर्षक पर आधारित यह तीन दिवसीय सन्त समागम निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा, हरियाणा में आयोजित किया गया है जिसमें देश के कोने-कोने से एवं दूर देशों से लाखों की संख्या में उपस्थित होकर इस पावन अवसर का भरपूर आनंद प्राप्त कर रहे हैं।
सत्गुरु माता जी ने सुकून का जिक्र करते हुए फरमाया कि जब हम स्वयं बेचैन हैं, हमारे अंतर्मन में उथल-पुथल है तो हम कहीं पर भी चले जायें हमें सुकून प्राप्त नहीं हो सकता। यदि हमें सही मायनों में सुकून प्राप्त करना है तो हमें पहले मानवीय गुणों को अपनाना होगा। उसके उपरान्त ही हम समुचे संसार के लिए वरदान बन सकते हैं। हमारे मन में यदि स्वयं के लिए मानवता का भाव नहीं तो हमारे जीवन में चैन, अमन, सुकून नहीं आ सकता।
अंत में सत्गुरु माता जी ने कहा कि जीवन का सबसे बड़ा सुकून परमात्मा को जानकर इसके साथ जुडने में ही है। जब हम निरंकार प्रभू से जुड़ जाते हैं तब हर समय हर स्थान पर केवल इस परमात्मा के ही दर्शन होते हैं और प्रेमभाव से युक्त होकर मन में सुकून धारण कर इसकी लहरों को अपने परिवार, प्रियजनों से होते हुए पूरे देश एवं विश्व में विस्तृत करते चले जायें।
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