नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री सुश्री आतिशी द्वारा दिल्ली सरकार द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के बारह कॉलेजों पर लगाए गए वित्तीय अनियमितताओं के गलत और निराधार आरोपों के विरोध में कुलपति कार्यालय के समक्ष दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ( डूटा ) ने धरना दिया। डूटा का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार अब इन कॉलेजों को पूर्णतः वित्तपोषित करने की अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। इससे पहले सुश्री आतिशी द्वारा दो पत्र लिखे गए थे, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेजों में 939 शिक्षकों के पद अवैध रूप से सृजित किए गए हैं और इन 12 कॉलेजों में दशकों से स्थायी/तदर्थ आधार पर काम कर रहे शिक्षकों के वेतन पर करोड़ों रुपये सरकारी धन खर्च किया गया है।
डूटा अध्यक्ष प्रो. ए. के. भागी ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आतिशी द्वारा इन पत्रों के साथ-साथ फंड में कटौती और इन कॉलेजों को वित्तीय रूप से बीमार घोषित करना, कॉलेज के कर्मचारियों और छात्रों के प्रति दिल्ली सरकार की दबाव बनाने की चाल के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार का मुख्य उद्देश्य इन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को डॉ. भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय और कौशल विश्वविद्यालय जैसे राज्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने के लिए सहमत करना है। सरकार इन कॉलेजों को डिग्री प्रदान करने वाले स्वायत्त कॉलेजों के रूप में चाहती है। इसका मतलब है कि इन सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों को स्व-वित्त पोषित संस्थानों में परिवर्तित करना है । प्रोफेसर भागी ने कहा कि सरकार के इन 12 कॉलेजों के मुद्दे पर प्रोफेसर श्री प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट का स्वागत करता है। रिपोर्ट दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों से संबंधित मुद्दों पर डूटा के रुख की पुष्टि करती है।
प्रोफेसर भागी ने शिक्षकों को बताया कि रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों में कहा गया है कि इन 12 कॉलेजों में कोई वित्तीय अनियमितता नहीं पाई गई है और इन कॉलेजों को डीयू से संबद्ध करने की कोई संभावना नहीं है। अनियमित फंडिंग/फंड कटौती के कारण वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी हुई है। इसके अलावा, सेवानिवृत्त और मृतक कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति लाभ, चिकित्सा बिल प्रतिपूर्ति, बच्चों की शिक्षा भत्ता,सातवें वेतन संशोधन और पदोन्नति के कारण बकाया, एलटीसी आदि कर्मचारियों के अन्य वैधानिक बकाया या तो अवैतनिक हैं या एक से तीन साल की देरी से भुगतान किए जाते हैं। उन्होंने बताया है कि दिल्ली सरकार ने कॉलेजों के कर्मचारियों को अपने वेतन और अन्य बकाया जारी करने के लिए विभिन्न अवसरों पर दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया है। हालाँकि, दिल्ली सरकार ने सबसे असंवेदनशील तरीके से काम किया है जब माननीय न्यायालय ने सरकार को अनुदान जारी करने का निर्देश दिया।
प्रोफेसर भागी ने अपने संबोधन में बताया कि दिल्ली सरकार से वित्त पोषित 12 कॉलेजों के तदर्थ शिक्षक अपने भविष्य के लिए चिंतित हैं। उन्होंने कई वर्षों तक इन कॉलेजों में पढ़ाया है और अब सुश्री आतिशी द्वारा उनकी नियुक्ति और पद को अवैध घोषित करना उन्हें अस्वीकार्य है। शिक्षकों ने दिल्ली की आप सरकार की उच्च शिक्षा विरोधी नीतियों के खिलाफ नारे लगाए और छात्रों और जनता को दिल्ली सरकार द्वारा दी गई धमकियों से अवगत कराया कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों को अंबेडकर विश्वविद्यालय जैसे राज्य विश्वविद्यालय में स्थानांतरित न किया जाए । सभा को निर्वाचित अकादमिक और कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने संबोधित किया । सदस्यों ने मांग की कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित कॉलेजों को विश्वविद्यालय द्वारा अधिग्रहित करने और यूजीसी द्वारा वित्त पोषित करने की तत्काल आवश्यकता है। दिल्ली सरकार द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित कॉलेजों के समक्ष आ रही समस्याओं पर चर्चा करने के लिए बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय अधिकारियों के साथ अकादमिक एवं कार्यकारी परिषद के सदस्यों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। कॉलेज शिक्षकों पर विशेष ध्यान देते हुए संकाय सदस्यों द्वारा पर्यवेक्षण किया जाएगा।
इस अवसर पर डूटा उपाध्यक्ष डॉ. सुधांशु कुमार एवं सचिव श्री अनिल कुमार ने बैकलॉग एवं आरक्षित शिक्षण पदों की कमी को बहाल करने की मांग की। डूटा अध्यक्ष प्रो. ए. के. भागी ने पीडब्ल्यूबीडी शिक्षकों के पदों को जल्द से जल्द भरने तथा पीएचडी पर्यवेक्षक ( सुपरवाइजर ) होने के लिए यूजीसी स्क्रीनिंग मानदंड को बहाल करने की मांग की। इस अवसर पर पूर्व विद्वत परिषद सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने अपने संबोधन में कहा कि प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू करते हुए शॉटफॉल व बैकलॉग के पदों को जल्द से जल्द भरा जाए । उन्होंने दिल्ली सरकार से वित्त पोषित 12 कॉलेजों में भी शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है ।
इस सभा को वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी संबोधित किया तथा छात्र शुल्क वृद्धि के खिलाफ आवाज उठाई तथा आक्रोशित शिक्षकों ने सार्वजनिक वित्तपोषित संस्थानों को बचाने के लिए नारे लगाए तथा एचईएफए ऋण की सरकारी योजना को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने यह भी मांग की कि सभी शिक्षकों को पदोन्नत किया जाए। डूटा अध्यक्ष प्रो. ए. के. भागी एवं डूटा के अन्य पदाधिकारियों ने अपनी मांगों को रखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।
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