दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) विधानसभा पर देगा धरना

Estimated read time 0 min read

नई दिल्ली, डूटा कार्यकारिणी की बैठक में दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री आतिशी के पत्र को पूरी तरह से नकारते हुए उनके वित्तीय अनियमितता के आरोपों को गलत और आधारहीन बताया गया है । डूटा द्वारा ज़ारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के 12 पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों में उच्च एन आई आर एफ और नैक की रैंकिंग इसके प्रमाण है कि लम्बे समय से इन कॉलेज का प्रबंधन और प्रशासन अनथक रूप से मेहनत कर रहा है। शिक्षा मंत्री आतिशी के वित्तीय अनियमितता के आरोपों पर डूटा ने कहा कि इन कॉलेजों में नियमित रूप से तीन स्तर पर ऑडिट किया जाता रहा है और ऑडिट में किसी तरह की अनियमितताएं नहीं पाई गई ।
डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी के अनुसार ये 12 कॉलेज दिल्ली सरकार के अनुरोध पर ही शुरू किए गए थे, लेकिन दिल्ली सरकार अब अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। उन्होंने कहा है कि पूर्ण रूप से सरकार द्वारा वित्त पोषित ये 12 कॉलेजों के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के गलत, अप्रमाणिक और आधारहीन आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली सरकार इन कॉलेजों को पूरी तरह से वित्त पोषित करना उसकी ड्यूटी है। प्रोफेसर भागी ने शिक्षा मंत्री के पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार वित्तीय अनुदान प्रदान करने के अपने वादे से मुकर नहीं सकती । ये कॉलेज आरंभ से ही विभिन्न पाठ्यक्रमों को चलाने के लिए दिल्ली सरकार से प्रशासनिक और वित्तीय अनुमोदन लेते रहे हैं जो कि दिल्ली सरकार से मिलता रहा है। डी यू और यूजीसी नियमानुसार इन कॉलेज की प्रबंध समिति स्थाई , तदर्थ और गेस्ट शिक्षक पदों को विज्ञापित करके भर्ती करती रही है। 2010 में भी दिल्ली सरकार ने 301 शिक्षक पदों की मंजूरी ओबीसी सीटों के विस्तार के कारण दी थी ।2015 में भी दिल्ली सरकार ने 2015 तक शिक्षक पदों का अनुमोदन करने संबंधी पत्र जारी किया था। 2019 में ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के कारण 25% सीटें बढ़ाई गई लेकिन दिल्ली सरकार ने कोई अतिरिक्त फंड इसके लिए अभी तक जारी नहीं किया है ,जिसके कारण कर्मचारियों और शिक्षकों की कमी इन 12 कॉलेज में हो गई है । दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को इन 12 कॉलेज को डीयू से अलग करने और अपने अंतर्गत लेने के लिए डीयू से कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं लिया है ,इसलिए समय से नियमित और पूर्ण ग्रांट जारी करना दिल्ली सरकार की ड्यूटी है।
दिल्ली सरकार के द्वारा 939 शिक्षक पदों को बिना अनुमोदन के बताने के बयान की भी डूटा ने कड़ी आलोचना की है। डूटा का कहना है कि अनियमित और अपर्याप्त ग्रांट के कारण वेतन, पेंशन और अन्य भत्ते समय पर नहीं मिल पा रहे हैं। सातवें वेतन आयोग के बकाया भी दिल्ली सरकार नहीं दे रही है ।उच्च न्यायालय भी अनुदान जारी करने के लिए अंतरिम आदेश दे चुका है कि दिल्ली सरकार तुरंत 12 कॉलेज की ग्रांट जारी करें ताकि इन कॉलेज के शिक्षकों कर्मचारियों को समय पर वेतन मिल सके । डूटा ने आगाह किया कि अगर ऐसा नहीं होता है तो डूटा दिल्ली सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज करेगा । डूटा ने मांग की है कि आने वाले बजट में दिल्ली सरकार इन कॉलेज के लिए समुचित ग्रांट का प्रावधान करें। दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज में शिक्षक कर्मचारियों की खाली पड़ी सीटों को तुरंत भरने की मांग भी की गई है । डूटा ने कहा कि दिल्ली सरकार इन मांगों को पूरा नहीं करती है तो डूटा कई स्तर पर संघर्ष की योजना बना रहा है जिसमें धरना, प्रदर्शन, हड़ताल और प्रेस कॉन्फ्रेंस करना शामिल है।

0Shares

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours