नई दिल्ली (सुधीर सलूजा/ सानिध्य टाइम्स) डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय में ऑपरेशन सिंदूर : भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी संयोजक प्रो. विष्णु मोहन दास ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े विविध सत्र होंगे जिनके माध्यम से भारतीय चिंतन परंपरा और नए भारत को समझने में मदद मिलेगी। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. सदा नंद प्रसाद ने संगोष्ठी के उदघाटन के अवसर पर देशभर से आए अतिथियों, वक्ताओं, श्रोताओं का स्वागत एवं महाविद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से हमारे छात्र ज्ञान एवं भारतीय सुरक्षा व्यवस्था से नए सिरे से परिचित होंगे।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में विशिष्ट सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर पर विचार साझा करते हुए सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल वी. के. चतुर्वेदी ने बताया कि जहां भी आतंकवादियों के केंद्र थे उन शिविरों को हमने बिना सीमा नियंत्रण रेखा पार किए और बिना वायुसीमा को लांघे पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। अनेक आतंकवादी मारे गए। विदेश मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक घोषणा की कि आतंकी शिविर नष्ट कर दिए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद कायरता का प्रतिरूप है, जिसे किसी न किसी रूप में पाकिस्तान पनाह देता है। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया, जिसे पूरे विश्व ने देखा और सराहा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी ने पहलगाम हमले के संदर्भ में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता, साहस एवं त्वरित निर्णय की प्रशंसा करते हुए हुए कहा कि यदि सेवा करनी है, तो राष्ट्रसेवा हो, बलिदान देना है, तो राष्ट्र के लिए हो और भक्ति हो, तो राष्ट्रभक्ति हो। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अभिलेखागार प्रमुख अजय कुमार ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर हमारे लिए गर्व की बात है। अगर भारतीय बनना है तो भारतीयता को जीना जरूरी है। हमारे व्यवहार में और सोचने में किसी भी स्तर पर दोहरापन नहीं होना चाहिए। सच्चे भारतीय की पहचान उसके आचरण और भावना से होती है, महज चंद दस्तावेजों के आधार पर नहीं।जिस प्रकार इस ऑपरेशन में भारत ने साहस और वीरता दिखाई, वह पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण बन गया।
पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने भारतीयता पर बल देते हुए कहा कि हमारे जीवन से भारत और भारतीयता ओझल होती जा रही है। भारत की जो अवधारणा है, वह न तो अंग्रेजों ने दी और न ही किसी विदेशी आक्रांता ने ही. यह हमारी परंपरा में सदियों से रची बसी है। डब्ल्यूआईएएफ की परियोजना निदेशक सुश्री हेमांगी सिन्हा ने कहा कि संगोष्ठी का विषय इतना विस्तृत है कि इसके कई पहलू हो सकते हैं किंतु हमारी सेना जिस पराक्रम का परिचय दिया है उसे प्रत्येक नागरिक को राष्ट्रीय भावना के स्तर पर समझने की जरूरत है।सुनील देवधर ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने वैश्विक स्तर पर यह साबित कर दिया कि भारत सुरक्षा,संस्कृति और अपनी अस्मिता के मामले में किसी भी स्तर पर समझौते नहीं करेगा. इस मामले में हमारी भारतीय सेना जितनी मजबूत है, देश का नेतृत्व भी उतना ही स्पष्ट और मजबूत है।
संगोष्ठी में प्राचार्य श्री सदानंद प्रसाद ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं पौधे भेंट किए। सत्र का संचालन प्रो.दीपाली जैन ने किया। उद्घाटन सत्र के बाद पहले दिन कुल दो सत्र हुए जिनमें की कुल पंद्रह अतिथि वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। संघोष्टी के दूसरे दिन भी तीन अलग-अलग सत्र में विषय से संबंधित विविध पहलू पर विचार एवं शोध प्रस्तुत किए जाएंगे।
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