नई दिल्ली, आध्यात्मिकता का रहस्य हमारे वेदों और पुराणों में है। हमें भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए। प्राचीन काल में हम विश्वगुरु रह चुके हैं। लेकिन उस लक्ष्य को पुनः प्राप्त करने के लिए हमें आध्यात्मिक रूप से सक्षम होना पड़ेगा। सेवानिवृत्त भारतीय वन सेवा अधिकारी अभय कुमार जोहरी ने डॉ भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान यह बातें कहीं। इस अवसर पर उन्होंने असम के आदिवासी क्षेत्र के अपने अनुभवों को भी साझा किया।
डॉ भीम राव अम्बेडकर कॉलेज की योग समिति और मेविन मैजिक के संयुक्त तत्वावधान में विकसित भारत अभियान के अंतर्गत दो दिवसीय आध्यात्मिक त्यौहार आयोजन किया गया। इसमें 19 वेलफेयर विशेषज्ञ आमंत्रित थे। इस कार्यक्रम का शुभारंभ योगा समिति की समन्वयक व प्राकृतिक चिकित्सा और स्वास्थ्य प्रशिक्षक डॉ तुलिका सनाढ्य ने किया। कॉलेज प्राचार्य प्रो सदानंद प्रसाद ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए आधुनिक समय में अध्यात्म, ध्यान और योग की उपयोगिताओं पर प्रकाश डाला।
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की प्रो अनु कपूर ने प्रमुख वक्ता के तौर पर विस्तारपूर्वक कल्याण प्राप्ति के मार्गों की चर्चा की। हरमीत चावला ने बताया कि कैसे कोई आध्यात्मिक ज्ञान से सफल नेतृत्वकर्ता बन सकता है। वहीं डॉ नूपुर श्रीवास्तव ने विज्ञान और अध्यात्म के अंतर्संबंधों की चर्चा की। सुभाष सेठी ने ध्यान और विपासना के सहारे खुशी प्राप्ति के बारे में बताया। चिकित्सक वीपी सिंह ने बताया कि कैसे दवाओं के बिना ही रीढ़ की हड्डी के दर्द से निजात पाया जा सकता है। मीनू मिनोचा ने बताया कि कैसे आंतरिक आघातों को दूर किया जाए।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने हिस्सेदारी की। कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी का भी दौर चला। जिसमें विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासाओं का निवारण किया।
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