मनोहर लाल के जन्मदिवस पर विशेष

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फर्श से अर्श पर पहुंचे मनोहर लाल

मेहनत और किस्मत के “संगम” का नाम “मनोहर लाल”

हरियाणा की राजनीति के चौथे बड़े लाल बने “मनोहर”

नई दिल्ली (सुधीर सलूजा / सानिध्य टाइम्स) कहते हैं मेहनत और किस्मत जब दोनों मिल जाती हैं तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं रहती। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में कद्दावर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर मेहनत और किस्मत का संगम है। यहां कहना गलत नहीं होगा कि मनोहर लाल का “एम” मेहनत है तो खट्टर का “के” किस्मत का प्रतीक है। मनोहर लाल खट्टर मध्यमवर्गीय किसान परिवार से आते हैं। उनका आरम्भिक जीवन गांव देहात के माहौल में गुजरा है। बाद में उनके परिवार ने खेती करना आरंभ कर दिया और सब्जी उगाने लगा। मनोहर लाल खट्टर उन दिनों परिवार के साथ ही काम करते थे। वे खेत से सब्जी तोड़ते और फिर उन्हें उठाकर साईकिल पर लादकर रोहतक की सब्जी मंडी लेकर जाते थे और मंडी में सब्जी पहुंचाने के बाद ही वे स्कूल जाते थे। इतना संघर्षमयी जीवन और डॉक्टर बनने की चाहत ऐसे में खट्टर पढाई में बहुत अच्छे थे। उनकी गणित पर अच्छी पकड़ थी। मनोहर लाल बचपन में बहुत कम बोला करते थे। वे स्वभाव से गंभीर थे। उनके पिता उन्हें व्यापारी बनाना चाहते थे। लेकिन उनकी किस्मत में तो राजयोग लिखा था। इस राजयोग को पूरा करने के लिए उन्होंने बड़ा संघर्ष किया और मेहनत और किस्मत के दम पर 10 साल हरियाणा के मुख्यमंत्री बनकर रहे और उसके बाद अब केंद्र सरकार में ऊर्जा एवं शहरी आवास मंत्रालय संभाल रहे हैं।
दूसरे अनेक लोगो की भांति खट्टर भी किशोर अवस्था में आगे की दिशा को तय नहीं किया था। दसवीं पास करने के बाद वे दिल्ली के सदर बाजार में कपड़े की दूकान चलाने लगे। उनके बड़े भाई ने सब्जी बेचकर खट्टर को पढ़ाया। खट्टर का परिवार बुरी तरह से गरीबी झेल रहा था। यही कारण था कि उन्होंने दूकान चलाने का निर्णय लिया। दिल्ली में रहते-रहते खट्टर दिल्ली विश्वविद्यालय से पढाई करने लगे। यहीं से वह आरएसएस से जुड़ गए। वे संघ के नियम को कड़ाई से पालन करते थे और अपने जीवन को देश के लिए लगाना चाहते थे।
मनोहर लाल खट्टर का जन्म 5 मई 1954 को रोहतक के निंदाणा गांव में हुआ था। उनका परिवार पाकिस्तान से आकर यहां बसा था। कुछ साल बाद परिवार ने पास के गांव बनियानी में खेती की जमीन खरीद ली और वहीं रहने लगा। हजारों विस्थापित परिवारों की तरह मनोहर के परिवार को भी आजीविका के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
उनके पिता और दादा शुरुआती दिनों में मजदूरी करते थे। बाद में उन्होंने निंदाणा गांव में दुकान खोल ली। मनोहर लाल के पिता हरबंस लाल चाहते थे कि बेटा खेती में उनका हाथ बंटाए, लेकिन बेटे की इच्छा डॉक्टर बनने की थी। रोहतक के नेकीराम कॉलेज से 10वीं करने के बाद मनोहर आगे की पढ़ाई और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए एक रिश्तेदार के पास दिल्ली चले गए। रिश्तेदार की दिल्ली के सदर बाजार में कपड़े की दुकान थी।
मनोहर लाल खट्‌टर बताया करते हैं कि ‘रोहतक मेडिकल कॉलेज में एक नंबर से मैं चूक गया। मेरा दाखिला नहीं हो पाया। इसके बाद मैंने एम्स और आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए तैयारी शुरू कर दी, लेकिन इनका एंट्रेंस टेस्ट भी मैं पास नहीं कर सका। एक परिचित मुझे गोवा में डोनेशन पर प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन दिला रहे थे। 30 हजार रुपए डोनेशन लग रहा था। जब उन्होंने घर में डोनेशन की बात बताई तो सबने मना कर दिया। उनके पिता का कहना था कि इतने पैसे में तो तुम अपना काम शुरू कर सकते हो। इसके बाद उन्होंने पिताजी से 15 हजार रुपए लेकर दिल्ली के सदर बाजार में कपड़े की दुकान खोली।

संघ से जुड़ने के लिए करना पड़ा संघर्ष
मनोहर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए किया है। पढ़ाई के दौरान ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए और 1977 में संघ से जुड़ गए। 1979 में प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद की सभा में उनकी मुलाकात संघ के कई पदाधिकारियों और परिषद के संतों से हुई। धीरे-धीरे संघ के प्रति उनका लगाव गहरा होता गया। बाद में वे संघ के फुल टाइम प्रचारक बन गए। खट्टर ने 1979 में तय किया कि उन्हें संघ प्रचारक बनना है। उसी साल उनके छोटे भाई जगदीश ने बीकाम पास किया। मनोहर लाल ने उससे कहा- तुम्हारी पढ़ाई अब ठीक-ठाक हो गई है। अब मेरे साथ बिजनेस संभालो। भाई ने कहा कि आपका बिजनेस तो चलता रहेगा, मुझे कोई नया बिजनेस करा दो। उस समय तक संघ को लेकर उन्होंने अपनी प्लानिंग के बारे में किसी को बताया नहीं था। छोटे भाई से कहा कि एक साल तक मेरे साथ बिजनेस संभालो। बाद में तुम्हें अलग करना होगा तो अलग कर लेना। इसके बाद व्यापार के साथ साथ लगातार संघ में सक्रिय रहे। फिर अपने छोटे भाई को बिजनेस सौंप कर संघ प्रचार के लिए निकल गए। जब मनोहर लाल प्रचारक बने तो घर वालों को लगता था कि तीन साल बाद लौट आएगा। तीन साल पूरा होने के बाद पिता जी ने अक्सर कहना शुरू कर दिया कि अब घर लौट आओ, लेकिन वह हर बार मना कर देता। मनोहर लाल भाई-बहनों में बड़े थे तो शादी का दबाव भी उन पर बढ़ रहा था। फिर उन्होंने पिता से जिद करके छोटे भाई की शादी करा दी। तब मनोहर लाल को लगा कि अब पिता जी समझ जाएंगे कि वो लौटना नहीं चाहता, लेकिन वे लगातार लौटने के लिए कहते रहे। मनोहर लाल जी ने एक बार बताया कि एक दिन उन्होंने कठोर मन से पिता जी से कह दिया कि आपके पांच बेटे हैं। दिल्ली में इतनी भीड़ है, ट्रैफिक है, इधर-उधर से गाड़ियां आती-जाती रहती हैं। टक्कर लगती है और जान चली जाती है। हम 13 दिन उसे याद करते हैं और फिर भूल जाते हैं। क्या आप ये नहीं सोच सकते कि आपके पांच नहीं चार ही बेटे हैं। पिता जी ने कहा कि ठीक है आज के बाद मैं तुझे वापस आने के लिए नहीं कहूंगा।’

हाजिर जवाब मनोहर लाल
बात 1994 की है। जगाधरी में संघ शिक्षा वर्ग चल रहा था। आखिरी दिन सरसंघचालक रज्जू भैया का भाषण चल रहा था। तभी प्रांत प्रचारक जी मनोहर लाल के पास से गुजरे। उन्होंने मनोहर लाल से कहा, हम सोच रहे हैं कि आपको बीजेपी में संगठन मंत्री के रूप में भेजा जाए। उन्होंने बहुत कैजुअल तरीके से बताया तो मनोहर लाल ने भी मजाक के अंदाज में पूछ लिया कि ये “सीटी” आपको दे दूं या प्रार्थना करा लूं। इस पर उन्होंने कहा कि तुम्हें इतनी भी क्या जल्दी है। तब मनोहर लाल ने कहा कि मुझे जल्दी नहीं है, लेकिन आपको ये बात बताने के लिए अभी ही समय मिला था क्या।’

जब मनोहर लाल बोले, यह डेढ़ लाख का कर्ज में कैसे चुकाऊंगा
1994 में मनोहर लाल को संघ से प्रदेश भाजपा का संगठन महामंत्री बनाया गया। उनके कार्यभार संभालते ही उन्हें बताया गया है कि प्रदेश पार्टी पर करीब डेढ़ लाख रुपए का कर्जा है। अब इसे आपको ही उतारना है। इस पर खट्टर ने हैरान होकर पूछा यह कर्ज कैसे हो गया? तो उन्हें बताया गया कि नए प्रदेश अध्यक्ष रमेश जोशी ने लोन पर एक कार खरीदी है। खट्टर को पार्टी चलाने की ज्यादा जानकारी नहीं थी और उस पर आते ही कर्ज के बारे में पता चल गया तो परेशान हो गए। उस समय सुषमा स्वराज हरियाणा की प्रभारी थी। मनोहर लाल ने सुषमा स्वराज से इस बारे में बात की। तब सुषमा स्वराज ने उन्हें कहा कि पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी का थैली भेंट कार्यक्रम करवाओ। इस कार्यक्रम में जितना पैसा चंदे के तौर पर आएगा उसका 15% प्रदेश फंड में आएगा। इस कार्यक्रम से प्रदेश भाजपा को करीब साढे तीन लाख रुपए मिले और लोन चुकता हो गया।

जब मनोहर लाल ने खाई कसम
यह 1999 की बात है। हरियाणा में ‌भाजपा और हरियाणा विकास पार्टी के गठबंधन की सरकार थी। चौधरी बंसीलाल मुख्यमंत्री थे। एक दिन भाजपा के संगठन मंत्री मनोहर लाल मुख्यमंत्री बंसीलाल से मिलने गए। कुछ देर बाद सीएम ने मैसेज भिजवाया, ‘भाजपा के संगठन मंत्री हमारी पार्टी के संगठन मंत्री से मिल लें। मुझसे मिलने की जरूरत नहीं है।’ भाजपा के संगठन मंत्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने कसम खाई कि जब तक बंसीलाल की सरकार नहीं गिरेगी, तब तक वे अपनी दाढ़ी नहीं कटाएंगे। 22 जून को भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया। 25 जून को फ्लोर टेस्ट हुआ। कांग्रेस की मदद से तब बंसीलाल ने सरकार तो बचा ली, लेकिन अगले ही महीने कांग्रेस ने भी समर्थन वापस ले लिया। 24 जुलाई को बंसीलाल की सरकार गिर गई। भाजपा के संगठन मंत्री मनोहर लाल खट्टर का संकल्प पूरा हुआ। उसके बाद ही उन्होंने दाढ़ी कटवाई।

पहली बार विधायक बने मनोहर बने मुख्यमंत्री
1999 में मनोहर लाल ने बंसीलाल की सरकार गिराने की कसम खाई थी। इसके 15 साल बाद हरियाणा में भाजपा को अपने बलबूते बहुमत मिला। उस समय रामबिलास शर्मा, अनिल विज, कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ जैसे नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चल रहे थे। मनोहर लाल ने हरियाणा लोकसभा के लिए चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में काम करते हुए हरियाणा में भाजपा को पहली बार 10 में से सात लोकसभा सीटों पर जीत दिलवाने का काम किया था। इस जीत के बाद वह हरियाणा में सक्रिय हुए और इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा को अपने बलबूते सत्ता में लाने का काम किया। जब सीएम चुनने की बारी आई तो भाजपा हाईकमान ने पहली बार विधायक बने मनोहर लाल के नाम पर अपनी मोहर लगा दी। इसके बाद मनोहर लाल लगातार 10 साल मुख्यमंत्री बने रहे। हर कोई इस बात से हैरान था कि मनोहर लाल का नाम कैसे आ गया? लेकिन उनका नाम आ चुका था। बाद में सभी को पता चला कि मनोहर लाल की नरेंद्र भाई मोदी से गहरी दोस्ती है।

मनोहर को कंप्यूटर सिखाया था मोदी ने
यह किस्सा अपने आप में बड़ा रोचक है। यह किस्सा खुद मनोहर लाल खट्टर ने एक बार सार्वजनिक किया था। मनोहर लाल कंप्यूटर के जानकार हैं। मनोहर लाल को कंप्यूटर सिखाने का काम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। ‘यह बात 1996 की है। जब मनोहर लाल की पहली बार मुलाकात नरेंद्र भाई मोदी से रोहतक में हुई। वह एंबेसडर कार से आए थे। आते ही उन्होंने एक लड़के को गाड़ी में से डिब्बे निकालने को कहा। डिब्बे खोले गए। तब नरेंद्र भाई मोदी ने पूछा, मालूम है यह क्या है? मनोहर लाल ने जवाब दिया छोटे टीवी जैसा लग रहा है। तब नरेंद्र भाई मोदी ने कहा कि यह कंप्यूटर है। इससे बहुत से काम किए जा सकते हैं। उन्होंने इंटरनेट और ईमेल के बारे में भी बताया।’ मनोहर लाल के लिए यह नई चीज थी इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर सीखा फिर इतनी रुचि हो गई कि आगे उन्होंने एक लैपटॉप ले लिया और उस पर पार्टी का काम करने लगे। कंप्यूटर में इसी रूचि का परिणाम था कि उन्होंने सत्ता में आने के बाद हर काम कंप्यूटराइज्ड करने का किया।

मोदी, मनोहर और बाइक
1996 में नरेंद्र मोदी हरियाणा के प्रभारी बनाए गए। इसी दौरान उनकी मुलाकात खट्‌टर से हुई। 11 मार्च 2024 को मोदी ने एक सभा में बताया था कि वे जब हरियाणा के प्रभारी थे तो मनोहर लाल खट्टर की बाइक पर पीछे बैठकर घूमते थे। 2002 में मनोहर को जम्मू- कश्मीर का प्रभारी बनाया गया। इसी साल गुजरात में भी चुनाव होने थे। तब तक नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम बन चुके थे। उन्होंने मनोहर को कच्छ जिले में इलेक्शन मैनेजमेंट करने बुलाया। दरअसल, 2001 के भूकंप के बाद हुए राहत कार्यों से इलाके के लोगों में असंतुष्टि और आक्रोश था, लेकिन मनोहर के चुनाव अभियान से भाजपा ने 6 में से 3 सीटें हासिल कीं। इस जीत पर मोदी ने कहा कि ये सीटें हमारे लिए बोनस हैं। 2004 में मनोहर को दिल्ली और राजस्थान सहित करीब 12 राज्यों का प्रभारी बनाया गया। उन्होंने आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक बालासाहेब आप्टे के साथ ‘चुनाव सहायक योजना’ पर भी काम किया। इसके बाद उन्हें पांच राज्यों- जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। मनोहर के प्रभारी रहते ही भाजपा ने जम्मू-कश्मीर चुनाव में पहली बार 11 सीटें जीती थीं।

व्यवस्था परिवर्तन का दूसरा नाम मनोहर
जब मनोहर लाल मुख्यमंत्री बने तो हरियाणा अव्यवस्थाओं का शिकार था। हरियाणा में सीएलयू, बदली और भर्ती ऐसे उद्योग थे, जिनमें मोटी कमाई की जाती थी। नेता, अधिकारी, कर्मचारी और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता इन उद्योगों के संचालक थे। जनता की गाढ़ी कमाई लूट ली जाती थी। सरकारी नौकरी लगने के लिए या तो धरती बेचनी पड़ती थी या फिर जेवर। जिसके पास कुछ नहीं था वह सरकारी नौकरी लगने की बात सोच भी नहीं सकता था। इस व्यवस्था को देखकर मनोहर लाल के मन में तड़प थी। हरियाणा की इस बदसूरत को वही व्यक्ति बदल सकता था जिसके दिल में पैसे का मोह न हो। मनोहर लाल ने इस व्यवस्था को बदलने का संकल्प लिया और उसे बदल कर दिखाया। जहां पहले हर रोज नौकरी के नाम पर पैसे लिए जाने के मुकदमे हरियाणा में दर्ज होते थे। आज हरियाणा में ऐसे मुकदमों की संख्या शून्य पर आ गई है। प्रदेश की जनता आज यह मानती है कि इस व्यवस्था को केवल मनोहर लाल ही बदल सकते थे और किसी नेता में यह को कुव्वत नहीं थी। हरियाणा में बिना खर्ची बिना पर्ची नौकरी आज भी पूरे देश में एक उदाहरण है। प्रदेश की जनता इस कार्य के लिए मनोहर लाल का हमेशा आभार व्यक्त करती रहेगी।

जब विरोधी के समर्थक ने दिया समर्थन का भरोसा
अभय राम दहिया मनोहर लाल जी से जुड़ा एक किस्सा बताते हैं। उनके खट्टर से भी अच्छे संबंध हैं। दहिया बताते हैं, मैंने मनोहर लाल खट्टर को फोन करके पूछा कि वे कहां से चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने जवाब दिया कि आप बताइए। मैंने कहा- आप पंचकूला आ जाइए, मैं आपकी पूरी मदद करूंगा। इस पर खट्टर ने कहा- चुनाव लड़ने से पहले एजेंसियों से सर्वे करवा रहा हूं। अगर पंचकूला पर विचार किया जाता है तो मैं आपकी मदद जरूर मांगूंगा।

दानवीर मनोहर
मनोहर लाल खट्टर ने पहले करनाल विधानसभा से चुनाव लड़कर विधानसभा में दस्तक दी और उसके बाद करनाल से ही लोकसभा का चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे। मनोहर लाल खट्टर को करनाल क्यों पसंद आता है? इसके पीछे बड़ा कारण है कि करनाल दानवीर कर्ण की नगरी है और मनोहर लाल खट्टर भी किसी दानवीर से कम नहीं हैं। आज जब कोई व्यक्ति किसी को आसानी से कुछ नहीं देता है। एक-एक इंच जमीन के लिए झगड़े होते हैं। मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री रहते रोहतक के निंदाणा गांव वाले अपने घर को दान कर दिया।

मनोहर सरकार का दूसरा नाम-पारदर्शी और डिजिटल प्रशासन (ई-गवर्नेंस)
मनोहर लाल खट्टर, जो 2014 से 2024 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे, ने अपने कार्यकाल के दौरान कई जनकल्याणकारी नीतियां लागू कीं। मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा में डिजिटल प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कीं, जैसे “डिजिटल हरियाणा” और “सीएम विंडो”।
सीएम विंडो में यह एक ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली थी, जिसके माध्यम से नागरिक अपनी समस्याएं सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा सकते थे। इससे प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी। विभिन्न सरकारी सेवाओं,जैसे जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, राशन कार्ड और संपत्ति पंजीकरण, को ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया, जिससे भ्रष्टाचार में कमी आई और सेवाओं तक पहुंच आसान हुई।

कृषि और किसान कल्याण
हरियाणा एक कृषि-प्रधान राज्य है, और खट्टर सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं लागू कीं। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत किसानों को धान जैसे जल-गहन फसलों की जगह वैकल्पिक फसलों (जैसे मक्का, बाजरा) की खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि भूजल स्तर को संरक्षित किया जा सके। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को हरियाणा में प्रभावी ढंग से लागू किया गया, जिसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की सहायता दी गई।
फसल नुकसान के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को बढ़ावा दिया गया, और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान किसानों को त्वरित मुआवजा प्रदान करने की व्यवस्था की गई।

शिक्षा और कौशल विकास
खट्टर सरकार ने शिक्षा और युवाओं के कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया। इस योजना के तहत युवाओं को रोजगार के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास के अवसर प्रदान किए गए। मेधावी छात्रों को मुफ्त कोचिंग प्रदान की गई ताकि वे इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में सफल हो सकें। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को हरियाणा में मजबूती से लागू किया गया, जिससे लिंगानुपात में सुधार हुआ और लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा मिला।

स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा
खट्टर सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को प्राथमिकता दी। आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब परिवारों को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया गया।
राज्य सरकार ने इस योजना के तहत गरीब परिवारों को अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभ प्रदान किए, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो आयुष्मान भारत के दायरे में नहीं आते थे।

वृद्धावस्था पेंशन
वृद्धजनों, विधवाओं, और दिव्यांगों के लिए पेंशन योजनाओं को मजबूत किया गया, और पेंशन राशि में वृद्धि की गई। खट्टर ने अंत्योदय के सिद्धांत को अपनाते हुए समाज के सबसे कमजोर वर्गों के उत्थान पर जोर दिया। इस योजना के तहत गरीब परिवारों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी गई ताकि उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें।

मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना
इस योजना का उद्देश्य राज्य के सबसे गरीब परिवारों की पहचान कर उन्हें स्वरोजगार और आर्थिक सहायता प्रदान करना था। गरीब परिवारों को मुफ्त या रियायती दरों पर राशन उपलब्ध कराया गया, और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को डिजिटल बनाकर पारदर्शी किया गया।

बिना पर्ची-खर्ची के कारण तीसरी बार फिर बनी भाजपा सरकार, मनोहर नीतियों से बेरोजगारी दर में कमी
मनोहर सरकार के कार्यकाल में “बिना पर्ची, बिना खर्ची” (बिना सिफारिश, बिना रिश्वत) की नीति को लागू करके सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता और योग्यता आधारित भर्ती प्रक्रिया को बढ़ावा दिया। इस नीति का उद्देश्य भ्रष्टाचार, सिफारिश और रिश्वतखोरी को समाप्त कर मेधावी युवाओं को नौकरी के अवसर प्रदान करना था। मनोहर लाल खट्टर की “बिना पर्ची, बिना खर्ची” नीति ने हरियाणा में सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और योग्यता आधारित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस नीति के तहत लाखों युवाओं को नौकरी मिली, बेरोजगारी दर घटी और व्यवस्था में विश्वास बढ़ा। यह नीति हरियाणा की राजनीति और समाज में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखी जाती है। खट्टर की नीतियों के परिणामस्वरूप हरियाणा में बेरोजगारी दर 2023 तक 6.5% तक कम हो गई, जैसा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सर्वेक्षण में उल्लेखित है। इसके अलावा, सरकार ने निजी क्षेत्र में रोजगार के लिए युवाओं के कौशल विकास पर ध्यान दिया और नई कंपनियों को हरियाणा में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया। इस नीति ने गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों में विश्वास जगाया, क्योंकि उनके बच्चे बिना किसी सिफारिश के नौकरी प्राप्त कर सके। मनोहर सरकार ने जातीय और क्षेत्रीय भेदभाव को खत्म कर सभी समुदायों को समान अवसर प्रदान किए। मनोहर सरकार की नीतियों ने हरियाणा में भाजपा के प्रति सकारात्मक माहौल बनाया, जिससे पार्टी को 2024 में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में मदद मिली। मनोहर सरकार ने 2021 में हरियाणा कौशल रोजगार निगम की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ठेका आधारित सरकारी नौकरियों में भी पारदर्शिता लाना था। इस निगम के तहत एक लाख से अधिक को कर्मचारियों को विभिन्न विभागों में नियुक्त किया गया।

जैसे मोदी के मनोहर वैसे ही मनोहर के नायब
12 मार्च 2024, मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी ने सुबह चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक बुलाई। इसमें समर्थक निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया गया, लेकिन जजपा विधायक इसमें शामिल नहीं थे। बैठक के बाद मनोहर लाल खट्टर सभी मंत्रियों समेत राज्यपाल से मुलाकात करने निकले। करीब 11.30 बजे खबर आई कि खट्टर सरकार ने इस्तीफा दे दिया है। इससे साफ हो गया कि भाजपा और जजपा गठबंधन टूट गया है। खट्टर के इस्तीफा देने के साथ ही नए सीएम के नाम पर भी चर्चा शुरू हो गई। उसी शाम नायब सैनी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। सैनी उस समय कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद थे। सैनी को सीएम बनाने की एक अहम वजह यह थी कि खट्टर और सैनी के बीच भी ऐसा ही रिश्ता है, जैसा पीएम मोदी और खट्टर के बीच है। नायब सैनी से मनोहर लाल खट्टर की करीबी लगभग दो दशक पुरानी है।

मनोहर लाल को नया दायित्व
13 मार्च शाम करीब 7 बजे भाजपा ने लोकसभा प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी की। मनोहर लाल को करनाल से उम्मीदवार घोषित किया गया। चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार 3.0 में उन्हें ऊर्जा, आवास और शहरी मामलों का मंत्री बनाया गया।

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