

दिल्ली ( काशिका सलूजा / सानिध्य टाइम्स) : पिछले दस वर्षों में, पहचान द स्ट्रीट स्कूल, एक स्वयंसेवी संचालित गैर-लाभकारी संगठन, दिल्ली-एनसीआर में वंचित बच्चों की शिक्षा में क्रांति ला रहा है। 2015 में मात्र 10-15 छात्रों के साथ शुरू हुई इस छोटी पहल ने आज 10 विभिन्न स्थानों पर 1,600 से अधिक बच्चों को शिक्षित करने का दायित्व उठाया है। यह सब भारत भर से 1,000 से अधिक सक्रिय स्वयंसेवकों के समर्थन से संभव हुआ है।
अन्य पारंपरिक स्कूलों के विपरीत, पहचान शिक्षा को सीधे बच्चों तक पहुंचाने का कार्य करता है, उनके घरों के पास ही शिक्षण केंद्र स्थापित किए जाते हैं। यह पहल एक संगठित स्कूलिंग मॉडल का अनुसरण करती है, जिसमें छात्र पहचान पत्र, उपस्थिति प्रणाली और उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम शामिल होता है। 4:1 छात्र-स्वयंसेवक अनुपात के साथ, यह संगठन उन बच्चों तक पहुंचता है जो स्कूल छोड़ चुके हैं या कभी स्कूल नहीं गए, जिससे उन्हें व्यक्तिगत ध्यान और बेहतर शिक्षा मिलने में सहायता मिलती है।
बेसिक शिक्षा से आगे
पहचान केवल पारंपरिक शिक्षा तक सीमित नहीं है। यह संगठन व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल-आधारित शिक्षा, सह-पाठ्यक्रमीय गतिविधियाँ, मानसिक स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य संबंधी पहल भी संचालित करता है। इसके अलावा, इसका मेंटरशिप प्रोग्राम 5,000 से अधिक छात्रों और 10,000 से अधिक स्वयंसेवकों को लाभान्वित कर चुका है।
इस पहल का प्रभाव उन छात्रों की सफलता की कहानियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिन्होंने कठिनाइयों के बावजूद कॉलेज में प्रवेश पाया और नौकरियां हासिल कीं। यह संगठन बिना किसी बाहरी फंडिंग के कार्य करता है और अपनी निरंतरता के लिए 150 से अधिक कॉलेजों, 50+ कंपनियों और 100+ प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ रणनीतिक साझेदारी एवं सहयोग पर निर्भर रहता है।
त्योहारों में एकता का संदेश
पहचान केवल शिक्षा प्रदान नहीं करता, बल्कि अपने छात्रों के बीच एक परिवार जैसी भावना विकसित करता है। होली, दिवाली और क्रिसमस जैसे त्योहार पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाए जाते हैं, जिनका आयोजन कई बार मस्जिदों और गुरुद्वारों जैसे विविध स्थलों पर किया जाता है। यह समावेशिता की भावना को उजागर करता है। इन आयोजनों के दौरान, स्वयंसेवक और शुभचिंतक बच्चों को आवश्यक सामग्री प्रदान कर उनके त्योहारों को और भी यादगार बना देते हैं।
परिवर्तन की पुकार
पहचान द स्ट्रीट स्कूल आशा की एक किरण बनकर उभरा है, यह साबित करता है कि जब लोग एक नेक उद्देश्य के लिए एकजुट होते हैं, तो शिक्षा के माध्यम से समाज में वास्तविक परिवर्तन लाया जा सकता है। जैसे-जैसे यह संगठन आगे बढ़ रहा है, यह इस बात का जीवंत उदाहरण बना हुआ है कि सामूहिक प्रयास से शिक्षा सच में जीवन बदल सकती है।
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