नई दिल्ली ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के साथ अपना इस्तीफा सौंप दिया। राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया और प्रधानमंत्री तथा केंद्रीय मंत्रिपरिषद से नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह 8 जून को होने की संभावना है। इससे पहले एनडीए सांसदों की बैठक 7 जून को सुबह 11 बजे संसद के सेंट्रल हॉल में होगी।
भाजपा नेतृत्व गठबंधन एनडीए के पास 292 सीटें हैं और विपक्षी दलों के आईएनडीआई गठबंधन के पास 234 सीटें हैं। केंद्र में सरकार बनाने के लिए 272 सांसद चाहिए। एनडीए के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत है, लेकिन आईएनडीआई गठबंधन को सरकार बनाने के लिए 39 सांसदों की जरूरत है।
आज आईएनडीआईए की बैठक है। इस दौरान अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार या टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू या दोनों एनडीए का साथ छोड़कर चले जाते हैं तो भाजपा तीसरी बार सरकार नहीं बना पाएगी। अगर मैं कहूं कि अगर नीतीश कुमार या चंद्रबाबू नायडू में से कोई आईएनडीआईए के साथ चले जाते हैं, तब भी नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कैसे तो आइए बताते हैं…
अगर नीतीश ने एनडीए को कहा बाय- बाय तो…
चुनाव परिणाम के मुताबिक, एनडीए के पास 292 सांसद हैं। इनमें से 12 सांसद जदयू यानी नीतीश कुमार की पार्टी के हैं। अगर जदयू एनडीए का साथ छोड़कर आईएनडीआई गठबंधन का समर्थन करती है। ऐसी स्थिति में भी एनडीए के पास 280 सांसद होंगे, जोकि बहुमत से आठ सांसद अधिक होंगे। यानी नीतीश कुमार के एनडीए से नाता तोड़ने के बावजूद भी मोदी तीसरी बार केंद्र में सरकार बना सकते हैं।
अगर नायडू को भा गया आईएनडीआई गठबंधन का ऑफर और एन डी ए को कर दिया बाय- बाय तो…
अभी एनडीए के पास 292 सांसद हैं। इनमें 16 सांसद टीडीपी के हैं। अगर टीडीपी आईएनडीआईए के साथ जाती है तो तब भी एनडीए के पास बचेंगे 276 सांसद,जोकि बहुमत से चार अधिक हैं। यानी कि नायडू के इंडी गठबंधन में शामिल होने पर भी केंद्र में एनडीए की सरकार बन सकती है।
अगर नायडू और नीतीश दोनों ने एनडीए को कहा अलविदा तो..
टीडीपी के पास 16 सांसद हैं और जदयू के पास 12 सीटें। अगर दोनों के मिलाकर कुल हुए 28 सांसद। अगर नायडू और नीतीश दोनों की पार्टियां एनडीए का साथ छोड़ देती हैं तो 292 में से 28 सांसद कम हो जाएंगे। यानी कि एनडीए के पास कुल 264 सांसद बचेंगे, जोकि बहुमत से आठ कम हैं।
सात निर्दलीय और कई छोटे-छोटे दल ऐसे हैं, जो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। मोदी इन दलों या प्रत्याशियों को एनडीए में शामिल कर बहुमत साबित कर सकते हैं।
आपको बता दें कि अगर नीतीश या नायडू दोनों में एक या दोनों एनडीए का साथ छोड़ते है तो ऐसे में राष्ट्रपति एनडीए के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे। मोदी गठबंधन के नेता हैं, ऐसे में वह तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे और बहुत साबित कर सकते हैं। वैसे किसी भी साथी के साथ छोड़ने की कोई संभावना नहीं है । परंतु पाठकों की जिज्ञासा हेतु हमने यह समीकरण समझने की कोशिश की है। हालांकि जदयू के पटना कार्यालय से साफ हो गया है कि नीतीश-मोदी साथ-साथ हैं। जदयू एनडीए के साथ रहेगा और सरकार बनाएगा। जदयू ने साफ कहा है कि मोदी के नेतृत्व में एन डी ए की मजबूत सरकार बनने जा रही है।
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