मोदी की गारंटी : 7 बार के विधायक व कृषि मंत्री रविंद्र चौबे पर भारी 5वीं पास मजदूर!

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नई दिल्ली, भाजपा उम्मीदवार ईश्वर साहू ने कांग्रेस सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को हराया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 90 सीटों में से 54 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस के खाते में 35 सीटें आई हैं। साजा विधानसभा सीट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे ईश्वर साहू ने कांग्रेस के 7 बार के विधायक और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे को हरा दिया है।भाजपा ने बेमेतरा जिले की साजा विधानसभा से ईश्वर साहू को अपना प्रत्याशी बनाया था। ईश्वर साहू का कोई भी राजनैतिक बैकग्राउंड नहीं है। ईश्वर साहू तब चर्चा में आए जब इसी वर्ष 8 अप्रैल को उनके बेटे भुनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई थी। ईश्वर साहू साजा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बिरनपुर के रहने वाले हैं। गांव में दो समुदायों के बीच बच्चों के विवाद के बाद तनाव बढ़ गया था। दोनों समुदाय के बीच हुए हिंसक संघर्ष में भुवनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई थी। भुवनेश्वर साहू की हत्या के चार दिन बाद गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के बाप बेटे की हत्या कर दी गई थी। दो समुदायों के बीच झगड़े के बाद उत्पन्न हुए तनाव को देखते हुए गांव में दो हफ्ते तक कर्फ्यू लगाया गया था और राज्यभर के आला पुलिस अधिकारी बिरनपुर में तैनात रहे थे। दोनों समुदायों से कई लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई थी।

दंगे में मारा गया बेटा, बीजेपी ने दिया टिकट-

ईश्वर साहू सूबे की राजधानी रायपुर से 110 किलोमीटर दूर बिरनपुर के रहने वाले हैं । वो मजदूरी करते हैं। ईश्वर साहू के बेटे भुवनेश्वर साहू की मौत सांप्रदायिक हिंसा में हुई थी। इसके बाद बीजेपी ने चुनाव में ईश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया। बिना किसी राजनैतिक बैकग्राउंड वाले ईश्वर साहू को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल कर अपना प्रत्याशी बनाकर हिंदुत्व कार्ड तो खेला ही साथ ही ओबीसी समुदाय को साधने का काम भी किया है। उन्होंने प्रदेश के कद्दावर मंत्री साजा विधानसभा से 7 बार के विधायक रविंद्र चौबे को चुनाव हराया।बीजेपी नेता अमित शाह ने ईश्वर साहू के लिए प्रचार करने किया था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि ईश्वर साहू सिर्फ उम्मीदवार नहीं, बल्कि इंसाफ की लड़ाई के प्रतीक है। जनता ने ईश्वर साहू का साथ दिया और अब ईश्वर विधानसभा पहुंच गए हैं।

परिवार ने ठुकराया था आर्थिक मदद-

मामले में साहू समाज के भुवनेश्वर साहू की मौत के बाद सरकार ने उनके परिवार को 10 लाख रुपए मुआवजा व एक सरकारी नौकरी देने का ऑफर भी दिया था। पर भुवनेश्वर साहू के परिवार ने इसे ठुकरा दिया था।

7 बार के विधायक रविंद्र चौबे को चुनाव हराया –

ईश्वर साहू को 101789 वोट मिले। जबकि रविंद्र चौबे को 96593 वोट मिले। ईश्वर साहू 5297 वोट से चुनाव जीते। यहां तीसरा स्थान नोटा को मिला। नोटा को कुल 3600 वोट मिले। साजा विधानसभा में 208614 मतदाताओं ने मतदान किया था। यहां 14 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे। ईश्वर साहू के चुनाव प्रचार के लिए खुद केंद्रीय मंत्री अमित शाह पहुंचे थे। उन्होंने ईश्वर साहू के बेटे को न्याय दिलाने और उनके बेटे के हर हत्यारों को जेल भेजने की बात कही थी। रविंद्र चौबे यहां साजा से सात बार के विधायक रहे थे और वर्तमान में मंत्री थे। अप्रैल 2023 में यहां हिंदू मुस्लिम विवाद में ईश्वर साहू के बेटे भुवनेश्वर साहू की हत्या हो गई थी। दोनों पक्षों में हुए विवाद के बाद हिंदू पक्ष के लोगों को भी जेल भेज दिया गया था। मामले में पुलिस ने कई हिंदू पक्ष के लोगों को आरोपी बनाया था। पर कुछ ही माह में अदालत ने ट्रायल के बाद हिंदू पक्ष के सभी लोगों को दोष मुक्त कर दिया था। वही गलत तरीके से हिंदू पक्ष के लोगों को आरोपी बनाने और जेल भेजने के मामले में पुलिस अधिकारियों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए ऊपर कारवाई करने हेतु डीजीपी को कहा था। भाजपा ने इसे ही मुद्दा बनाया था और हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। ईश्वर साहू को प्रत्याशी बनाने से साहू समाज के वोट जमकर भाजपा को पड़े थे। यह पूरा क्षेत्र साहू समाज बाहुल्य क्षेत्र है,कुल 60 हजार साहू वोटर इस विधानसभा सीट पर है।साजा विधानसभा क्षेत्र के पांच नगर पंचायत देवकर, परपोड़ी,साजा, थानखम्हरिया, व धमधा में कांग्रेस के वोटो की संख्या गिरी और उसे पराजय का सामना करना पड़ा है। ईश्वर साहू ने आज तक सरपंच का चुनाव नहीं लड़ा है और सीधे विधायक का चुनाव लड़कर जीत कर आए हैं। ईश्वर साहू को मतगणना के दौरान 23 राउंड में 12 राउंड में बढ़त मिली थी।

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