जगद्गुरू शंकराचार्य ने की स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए संवाद परंपरा की पहल : प्रो स्वाति पाल

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नई दिल्ली, जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) के सार्वभौमिक व नैतिक मूल्य केंद्र, आई.क्यू. ए. सी. एवं भारतीय भाषा समिति शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में आयोजित जगद्गुरु शंकराचार्य व्याख्यान माला के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय व आध्यात्मिक एकता के संवाहक : जगद्गुरु शंकराचार्य’ विषय पर एक-दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में किया गया। जिसमें प्रथम सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या आदरणीया प्रो. स्वाति पाल ने की। सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में चिन्मय मिशन से सम्बद्ध मिथिलेश कुमारी और जे.पी.बोस.विश्वविद्यालय से डॉ. पवन सिंह जी थे। मिथिलेश कुमारी जी ने अपने महत्वपूर्ण उद्बोधन में धर्म की परिभाषा, नव दर्शन और शिक्षा व विद्या जैसे अनेक महत्वपूर्ण पक्षों को रेखांकित किया। आदरणीय डॉ. पवन सिंह जी ने भी हिंदुत्व एवं अद्वैतवाद सम्बंधित अनेक विषयों पर कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की। प्राचार्या महोदया ने भी अपने उद्बोधन में हिंदुत्व के साथ-साथ जगद्गुरु शंकराचार्य के बहुआयामी चिंतन पर अपने विचार रखे। प्राचार्य महोदया ने कहा कि शंकराचार्य जी की अद्भुत देन यह भी है कि उन्होंने संवाद परम्परा का आरंभ किया जो कि स्वस्थ समाज के निर्माण में अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभाग के आचार्य और अध्यक्ष आदरणीय प्रो.रामसलाही द्विवेदी ने अपने महत्वपूर्ण व्याख्यान में ऋषि चिंतन की सार्वभौमिकता, पुनर्जन्म के महत्व, कर्म फल का सिद्धांत के साथ- साथ शंकराचार्य जी के चिंतन की उपादेयता एवं प्रासंगिकता आदि के विषय में अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की। द्वितीय वक्ता के रूप में स्वामी नित्या दीपानंद जी ने भी विषय संबंधी अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की। जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र विषय में सह आचार्य के पद पर कार्यरत डॉ. जयंती पी. साहू ने कहा कि शंकराचार्य जी का अतुलनीय योगदान यह भी है कि वे शास्त्र परम्परा के संवाहक थे और उन्होंने उपनिषदों को लोक तक पहुँचाने का कार्य किया।
कार्यक्रम में शताधिक विद्यार्थियों की सक्रिय प्रतिभागिता रही। शंकराचार्य के दर्शन के विभिन्न आयाम पर विद्वानों की सार गर्भित वक्तव्यों से पूर्ण यह संगोष्ठी अत्यंत सफल रही ।
कार्यक्रम की संयोजन समिति में डॉ प्रेरणा अरोड़ा , प्रो.संध्या गर्ग, प्रो.सुधा उपाध्याय, डॉ. रेणुका, डॉ. दीनदयाल, डॉ. हर्षबाला, डॉ. राहुल प्रसाद , डॉ निशा मलिक , डॉ ज्योति , डॉ मंजरी गुप्ता ने अपनी महनीय भूमिका का निर्वहन करते हुए कार्यक्रम की सफलता में अपना योगदान प्रदान किया।

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