42 वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला में हरियाणा पवेलियन के अंतर्गत लगा एक अनूठा स्टाल ध्यान कक्ष

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नई दिल्ली, प्रगति मैदान में लगे देश के 42 वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में‌ जहाँ एक ओर देश-विदेश के दस्तकारों व कलाकारों को अपना हुनर दिखाने हेतु मंच प्रदान किया वहीं दूसरी ओर आगुंतकों की संख्या में भी यहाँ काफी इजाफा देखने को मिला। बच्चों से लेकर वयोवृद्धों तक, सबके अन्दर इस मेले को देखने का जुनून था। इस अवसर का लाभ उठा, सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि०), फरीदाबाद ने वर्तमान परिस्थितियों के तहत्‌ आगुंतकों तक नि:स्वार्थ भाव से सद्‌भावना व युग चेतना का संदेश पहुँचाने की पहल की। इसलिए तो हरियाणा पवेलियन के अंतर्गत सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि०) का एक अनूठा स्टाल ध्यान-कक्ष के नाम से देखने को मिला।
ग्रेटर फरीदाबाद, सतयुग दर्शन वसुंधरा परिसर में स्थापित यह ध्यान-कक्ष वास्तव में भौतिक ज्ञान से भिन्न, आत्मिक ज्ञान प्रदान करने वाला समभाव समदृष्टि का स्कूल है। यहाँ से बिना किसी भेदभाव के समाज के हर वर्ग के सदस्य को सतयुगी उत्कृष्ट नैतिक संस्कृति से परिचित करा, समभाव समदृष्टि की युक्ति अनुसार आपस में मैत्री भाव से विचरने की शिक्षा प्रदान की जाती है ताकि समाज में फैला हुआ भिन्नता का, लड़ाई-झगडे का, वैर-विरोध का, द्वि-द्वेष का वातावरण समाप्त हो और सब आपस में मिलजुल कर शांति से रहते हुए सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें।

इस संदर्भ में आज की परिस्थितियों के तहत्‌ इस अनूठे ध्यान-कक्ष से सबको समभावी, समचित्त, समबुद्धि व समदृष्ट इन्सान बनाने हेतु आध्यात्मिक क्रान्ति चल रही है। इस आध्यात्मिक क्रान्ति के तहत्‌ हर आत्म-विस्मृत मानव को, विधिवत्‌ आत्मिकज्ञान प्रदान कर, पुन: आत्म-स्मृति में लाने का प्रयास ज़ोरों-शोरों से चल रहा है ताकि वैश्विक-स्तर पर हर मानव विचार, सत्‌-ज़बान, एक-दृष्टि, एकता अपनाकर अपनी श्रेष्ठता के अनुरूप मन-वचन-कर्म द्वारा सजन पुरुष बनने में सक्षम बन सके।

इस सन्दर्भ में मेले में लगे इस ध्यान-कक्ष के स्टाल के माध्यम से सबको सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ अनुसार पुन: सुमति में लाने के लिए त्रेता, द्वापर व कलियुग की बातें व आचार-संहिता छोड़कर, जो युग अब आने वाला है यानि सतयुग की सर्वोत्कृष्ट संस्कृति यानि आचार-संहिता अपनाने का विधिवत्‌ सुझाव दिया गया ताकि सबका चारित्रिक रूप सतयुग की पहचान व मानवता का स्वाभिमान बन सके और मानव पुन: अपनी उत्कृष्ट यथार्थ शान को प्राप्त हो सत्यमेव जयते के कथन को सत्य सिद्ध कर सके।
यही नहीं विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से इस स्टाल के सदस्यों द्वारा सबको उत्कृष्ट इन्सान बनने हेतु निवेदन भी किया गया और कहा गया कि आत्मिक ज्ञान प्राप्तकर, आत्मिक गुण यानि सन्तोष-धैर्य अपनाकर सच्चाई धर्म की राह पर दृढ़ता से चलने का संकल्प लो और सच्चे दिल से कुदरती वेद-शास्त्र विदित ईश्वरीय आज्ञाओं के पालन के निमित्त आत्म-समर्पण करने का पुरुषार्थ दिखाओ और इस धरा पर पुन: सतयुग जैसा उत्तम समयकाल ले आओ। यही नहीं सबको यह भी सुझाव दिया जा रहा है कि इस हेतु काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे भाव-स्वभाव छोड़ व निष्कामता अपनाकर मानव-धर्म को सत्यनिष्ठा से अपने मन-वचन-कर्म द्वारा प्रतिष्ठित कर परोपकारी बनने का साहस दिखाओ क्योंकि तभी सम्पूर्ण मानव-जाति ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‌‘ की अवधारणा को चरितार्थ कर एक सत्यनिष्ठ व धर्मपरायण संगठित परिवार की तरह मिल जुल कर रहने के योग्य बन पाएगी और ब्रह्म अवस्था को धारण कर यानि एकता, एक-अवस्था में आ अपने जीवन के परम लक्ष्य यानि मोक्ष को सिद्ध कर सकेगी।

यही नहीं हरियाणा के माननीय राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने भी हरियाणा पैविलियन में लगे विभिन्न स्टॉलों के दौरे के दौरान सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि.) के उपक्रम व हरियाणा के प्रमुख पर्यटक स्थल ध्यानकक्ष की क्रियाविधियों की सरहाना की।

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