हरियाणा मंत्रिमंडल ने हरियाणा डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति, 2023 को दी मंजूरी

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नई दिल्ली, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज चंडीगढ़ में आयोजित हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक ने हरियाणा डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति, 2023 को मंजूरी दी गई।

यह नीति सरकारी विकासात्मक नीतियों और कार्यक्रमों को उजागर करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया समाचार चैनलों और सोशल मीडिया इन्फलूएंसरस को शामिल करने के उद्देश्य से लाई जा रही है। वर्ष 2007 और 2020 की मौजूदा नीति केवल प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेबसाइटों तक ही सीमित थी।

सोशल मीडिया समाचार चैनल और सोशल मीडिया इन्फलूएंसरस को शामिल करने का निर्णय ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। वर्तमान दौर में इंटरनेट-सक्षम उपकरणों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को व्यापक रूप से अपनाने के साथ, डिजिटल मीडिया लोगों के दैनिक जीवन में सर्वव्यापी उपस्थिति बन गया है।

सोशल मीडिया समाचार चैनलों, वेबसाइटों और प्रतिष्ठित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर विज्ञापन जारी करने का प्राथमिक उद्देश्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं का व्यापक संभव कवरेज प्राप्त करना है।

नीति के तहत, सोशल मीडिया समाचार चैनलों को उनके ग्राहकों, अनुयायियों और सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की संख्या को ध्यान में रखते हुए पैनल में शामिल करने के लिए पांच श्रेणियां बनाई गई हैं। डीआईपीआर हरियाणा द्वारा इन श्रेणियों के अनुसार सोशल मीडिया समाचार चैनलों को सूचीबद्ध किया जाएगा।

नीति के तहत, आवश्यकता पड़ने पर पैनल सलाहकार समिति प्रत्येक श्रेणी, विज्ञापन प्रारूप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए समय-समय पर दरें तय, बढ़ाएगी या संशोधित करेगी। जब भी वह उचित समझे, वह सोशल मीडिया समाचार चैनलों से अन्य प्रासंगिक विज्ञापन प्रारूपों के लिए दरें साझा करने के लिए कह सकता है। एक बार विज्ञापन देने के बाद सोशल मीडिया न्यूज चैनलों को विज्ञापन की तारीख से एक महीने तक विज्ञापन रखना होगा। प्रत्येक श्रेणी के तहत पैनल सलाहकार समिति (धारा 7) द्वारा निर्धारित न्यूनतम आधार दर उस श्रेणी में आने वाले आवेदक सोशल मीडिया चैनल को प्रदान की जाएगी। यदि विज्ञापित/प्रायोजित सोशल मीडिया सामग्री 5 प्रतिशत ग्राहका/अनुयायियों तक पहुंचने में विफल रहती है तो विज्ञापन दरों में प्रासंगिक कटौती की जाएगी। प्रायोजित सामग्री सरकारी योजनाओं, सेवाओं, उपलब्धियों और अन्य नीतिगत पहलों पर आधारित होगी।

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