दिल्ली से राज्यसभा सांसद के लिए अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को प्रतिनिधित्व न दिए जाने पर फोरम ने जताई चिंता

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नई दिल्ली, फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली से खाली हुई तीन राज्यसभा सांसदों की सीटों में से किसी भी सीट पर अनुसूचित जाति (एससी), तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे के व्यक्तियों को राज्यसभा सांसद का टिकट न दिए जाने की कड़े शब्दों में निंदा की है और कहा है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल का दलित, पिछड़ों के प्रति प्रेम मात्र एक दिखावा है। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में वे इन वर्गों का वोट लेकर सत्ता हथियाना चाहते है किंतु इन वर्गों को सत्ता में उचित प्रतिनिधित्व देना नहीं चाहते। डॉ.सुमन ने बताया है कि 27 जनवरी को दिल्ली से तीनों राज्यसभा सांसदों की सीटें खाली हो रही है, उनके स्थान पर पार्टी ने पिछली बार के दो सांसदों श्री संजय सिंह व श्री नारायण सिंह गुप्ता को फिर से राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है। श्री सुशील कुमार गुप्ता के स्थान पर इस बार दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को राज्यसभा में भेजने के लिए दिल्ली महिला आयोग से इस्तीफा ले लिया गया है। उनका कहना है कि राज्यसभा में भेजने के लिए इन तीनों उम्मीदवारों में से कोई भी आरक्षित वर्ग से नहीं है।
फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन का कहना है कि आम आदमी पार्टी के गठन के 12 साल हो गए हैं। पार्टी ने अपने एजेंडे में कहा था कि संविधान की सामाजिक न्याय की अवधारणा, सत्ता में समान भागीदारी जैसे मुद्दे को गंभीरता से लागू करेगी लेकिन राजधानी दिल्ली में बहुमत से पार्टी ने सरकार बनाते ही उस समाज के लोगों को भूल गई जिन्होंने इनको सत्ता तक पहुंचाया। दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी को दलितों और पिछड़ी जातियों का सबसे अधिक वोट मिला है। दिल्ली में तो दलित और पिछड़ी जातियों की संख्या सबसे अधिक है। यहाँ बहुजन जातियों ने पार्टी को खड़ा करने से लेकर चुनाव प्रचार तक जी जान से सहयोग किया है। लेकिन सत्ता में आते ही पार्टी अपने दलित और पिछड़ी जातियों के कार्यकर्ताओं को भूल गई। यहाँ तक कि सामाजिक न्याय के जरूरी मुद्दे को भी दरकिनार कर दिया। भारतीय संविधान में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के दिए सिद्धांतों सामाजिक न्याय और समान भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अब पार्टी कोई बात नहीं करती है। डॉ.सुमन ने बताया है कि राज्यसभा में जिन तीन लोगों को भेजा जा रहा है उसमें श्री संजय सिंह को छोड़कर बाकी लोग राजनीति और संविधान की धाराओं जैसे गंभीर मुद्दों की जानकारी से अनभिज्ञ हैं। उन लोगों का सामाजिक आंदोलन से कुछ लेना देना नहीं है ।
डॉ. सुमन का यह भी कहना है कि जिन तीन संभावित उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। राज्यसभा जैसे महत्वपूर्ण सदन में संविधान और प्रशासन की गम्भीर जानकारी रखने वाले व्यक्ति को ही भेजना चाहिए था। होना तो यह चाहिए था कि एक अनुसूचित जाति (एससी) व एक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के किसी चिंतक, विचारक और संविधान संबंधी जानकारी रखने वाले किसी समर्पित राजनेता को राज्यसभा में भेजना चाहिए था लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया। इससे जाहिर है कि आम आदमी पार्टी भी सामाजिक न्याय के मुद्दे और समान भागीदारी के सिद्धांतों से हट गई है और अरविंद केजरीवाल ने इस पूरी पार्टी को आत्म केंद्रित बनाकर इसे रीढ़ विहीन कर दिया है। आगे आम आदमी पार्टी का भविष्य बहुत साफ नहीं है अन्ना आंदोलन की तरह यह पार्टी भी भविष्य में विलीन होने के कगार पर आ गई है। दलित, पिछड़ा वर्ग को इस पार्टी से मोहभंग हो गया है। ये जातियाँ अब पार्टी से दूरी बनाने लगी हैं, सन् 2024 के आम चुनाव में इन्हें कोई सीट जीतना मुश्किल होगा।

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