दृष्टि बाधित विद्यार्थियों की फिल्म चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल स्क्रीनिंग के लिए चयनित

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नई शिक्षा नीति से सीखी फिल्म निर्माण की बारीकियां

नई दिल्ली, डा भीमराव अम्बेडकर कॉलेज के हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार पाठयक्रम के दो दृष्टि बाधित विद्यार्थियों द्वारा अभिनीत शॉर्ट फिल्म “दृष्टि : ये नजरिया है आपका “पांचवें चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल ,2024 में स्क्रीनिंग के लिए चुनी गई है । चित्र भारती राष्ट्रीय स्तर का फिल्म फेस्टिवल है जिसका आयोजन प्रत्येक दूसरे वर्ष होता है और इससे भारतीय फिल्मों के बड़े सितारे जुड़े हुए हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कौशल संवर्द्धन पाठ्यक्रम आरंभ किए गए हैं। इनमें वैल्यू एडेड संवर्द्धन के अंतर्गत सिनेमा निर्माण भी सिखाया जाता है। हिंदी पत्रकारिता के प्रथम वर्ष के दृष्टि बाधित विद्यार्थियों विद्यार्थियों सागर और छाया अभिनीत दृष्टि शार्ट फिल्म दृष्टि बाधित व्यक्तियों के जीवन के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण पर केंद्रित है।
डा भीमराव अम्बेडकर कॉलेज के इन दो दृष्टि बाधित विद्यार्थियों ने दिखाया है कि शारीरिक बाधाएं जज्बे के आगे टिक नहीं सकती ।फिल्म फेस्टिवल फरवरी,2024 के तीसरे सप्ताह पंचकुला में आयोजित किया जा है। दूसरी मूवी “नादान चिरैया”आजकल के युवाओं विशेष रूप से लड़कियों की समस्या पर है जिसमें एक स्वस्थ सामाजिक संदेश है।
दृष्टि बाधित विद्यार्थियों सागर और छाया अभिनीत “दृष्टि -ये नज़रिया है आप का ” का उद्देश्य इस शॉर्ट फिल्म के माध्यम से समाज की इस छोटी सोच को खत्म करना है कि अगर कोई व्यक्ति दिव्यांग है या दृष्टि बाधित है तो उसके बारे में कहा जाता है वह कोई काम करने योग्य नहीं है l
फिल्म में दिखाया है कि किस प्रकार दो दृष्टिबाधित विधार्थी समाज में संघर्ष करते हुए शिक्षा ग्रहण करने के लिए कॉलेज में दाखिला लेते हैं। यहां से उनकी एक नई शुरुआत होती है लेकिन यहां दो विधार्थी उन्हें समझ नहीं पाते और परेशान करते हैं।
आखिर में इन दोनों विद्यार्थियों को इस बात की अनुभूति होती है कि मनुष्य को मनुष्य की दृष्टि से ही देखना चाहिए ना कि उनकी कमियों का मज़ाक उड़ाना चाहिए
फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग के लिए चयनित दूसरी मूवी नादान चिरैया मूवी आजकल के जनरेशन के बच्चों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। आजकल के समय में बच्चे बहुत ही छोटी उमर में राह भटक जाते हैं और अपना लक्ष्य भूल जाते हैं ,जिसकी वजह से वह अपने मां-बाप के खिलाफ तक होने को तैयार होते हैं। उन्हें यह लगने लगता है कि वह जो कर रहे हैं ,वह सही है और मां-बाप के विचार बहुत ही पुराने हैं ।आजकल बच्चों को यह चीज समझना बहुत ही आवश्यक है कि मां-बाप हमारे बुरे के लिए नहीं बोलते ।मां-बाप अगर किसी चीज के रोकते टोकते हैं तो उसमें भी कहीं ना कहीं भलाई छुपी होती है और यदि मां-बाप के अनुसार मर्यादा में रहकर सही उम्र में सिर्फ शिक्षा अर्जित करते हैं तो ही हम सफल हो सकते हैं।
अनुराग ,प्रीति और दीपिका फिल्म के अन्य कलाकार हैं।फिल्मों का पटकथा लेखन, सम्पादन और निर्देशन अंश विश्वकर्मा, आयुषी और गरिमा ने किया है।

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