उपायुक्त डॉ. वीरेन्द्र कुमार दहिया की सोच में प्रशासनिक अनुशासन के साथ दूरदर्शिता, समावेशी विकास और जनहित की प्राथमिकता देती दिखाई

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पानीपत (सुधीर सलूजा/ सानिध्य टाइम्स) हरियाणा सरकार में परिवहन, शिक्षा और मार्केटिंग बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह कर अपनी अमिट पहचान छोडऩे वाले श्री वीरेन्द्र कुमार दहिया (आईएएस) पिछले 2 वर्षों से जिले में बतौर उपायुक्त अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं। सरल व्यक्तित्व, मजबूत प्रशासनिक पकड़ और नवाचारों के प्रति गहरी समझ रखने वाले व्यक्तित्व ने जिले में सरकारी नीतियों और जमीनी कार्यशैली से एक नई लकीर खींची है। पारंपरिक नौकरशाही से अलग हटकर उनकी कार्यशैली एक सेवक की तरह अधिक प्रतीत होती है। चाहे डिजिटल प्रशासन हो, भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्ती या पारदर्शिता की स्थापना हर मोर्चे पर वे स्वयं उपस्थित रहे हैं। हर कार्य में उनकी कार्यशैली बोलती है।
एक आईएएस अधिकारी में जो खूबियां होती हैं जो उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने में मदद करती हैं वे सभी उनमें साफ दिखाई देती हैं। वर्ष 2013 बैच के (आईएएस) डॉ. विरेंद्र कुमार दहिया का 2 वर्ष का कार्यकाल उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा है। सभी विभागों के अधिकारियों ने उनके इस उपलब्धि भरे कार्यकाल की सफलता पर उन्हें बधाई दी है। उनके मार्ग दर्शन में जिले में विकास के तमाम पहलुओं को देखकर कहा जा सकता है कि उनकी सोच में प्रशासनिक अनुशासन के साथ दूरदर्शिता, समावेशी विकास और जनहित की प्राथमिकता निहित है।
गौर करने लायक बात यह है कि उनकी सोच की झलक उनके दैनिक कार्यों में दिखाई देती है। जिले में इन दो वर्षों में उन्होंने जन सहभागिता एवं बड़ी परियोजनाओं तक की पहल को गति प्रदान की है। उनका जोर न केवल विकास कार्यों पर बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही, और नागरिक केंद्रीत योजनाओं पर रहा है।

2 वर्ष 3 महीने 24 दिन का कार्यकाल शीर्ष प्रभावी प्रशासक के मॉडल की तरह हुआ साबित


मजेदार बात यह है की उनका अब तक का 2 वर्ष 3 महीने 24 दिन का कार्यकाल शीर्ष प्रभावी प्रशासक के मॉडल की तरह साबित हुआ है। उन्होंने प्रशासनिक अनुशासन, पारदर्शिता और सक्रिय निरीक्षण के माध्यम से जिले में मजबूत सुधार हुए हैं। वे कहते है प्रशासनिक अधिकारी का काम सिर्फ प्रशासन चलाना नहीं, बल्कि समाज के विकास में अहम भूमिका निभाना भी होता है। देखने लायक बात यह है कि उपायुक्त की सोच व कार्यशैली बिल्कुल हटके नजर आती है। उनकी पारदर्शी एवं प्रेरक छवि खास तौर पर युवा वर्ग को प्रेरणा देती है। सतर्कता, समय पालन और पारदर्शी प्रशासन की उनकी छवि इन 2 वर्षों में जिले में स्पष्ट तौर पर दृष्टिगोचर हुई।
उपायुक्त के ये 2 वर्ष शिक्षा, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, मार्केटिंग, परिवहन जैसे क्षेत्रों में उनके निर्णय परिणाम देने वाले रहे हैं। वे उस प्रशासनिक सोच का प्रतिनिधित्व करते हैं। जो समर्पण, ईमानदारी और नवाचार पर आधारित है। जिले में उनके नेतृत्व में जो बदलाव हो रहे हैं, वे न केवल जिले को विकास की नई दिशा दे रहे हैं, बल्कि देशभर के अफसरों के लिए प्रेरणा भी बन रहे हैं। उनके मार्ग दर्शन में जिले के तमाम विभागों को जो मार्गदर्शन मिल रहा है उसका असर जिले की प्रगति के रूप में दिखाई दिया है। खास बात यह है की उनकी संकल्प शक्ति बहुत मजबूत है। मुश्किल परिस्थितियों में भी धैर्य और दृढ़ निश्चय के साथ उन्हें कार्य करना आता है। उनके अंदर जटिल से जटिल समस्या को सुलझाने की योग्यता है। वे जटिल समस्याओं का विश्लेषण कर उनके समाधान निकालने में पूरी तरह से सक्षम है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि उनका संचार कौशल बहुत ही स्पष्ट, प्रभावी और प्रेरणादायक है।
जिस तरीके से वे अधिकारियों से संवाद करते है उसका प्रभाव लंबे समय तक रहता है। न्यायप्रियता, ईमानदारी और नैतिकता के साथ काम करना उनके जीवन का हिस्सा है व उनके अंदर सार्वजनिक सेवा की भावना भरपुर मात्रा में है। उनमें अंदर समाज की भलाई के लिए काम करने की इच्छा और संवेदनशीलता स्पष्ट है। समय प्रबंधन व जनहित के कामों को प्राथमिकता देकर समय पर पूरा करना वे अपनी ड्यूटी का हिस्सा समझते हैं। उनके अंदर सामाजिक समझ समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं और जरूरतों को समझना। नियम-कानून का ज्ञान प्रशासनिक नियमों और कानूनों का अच्छी जानकारी, निर्णय लेने की क्षमता सही समय पर सही निर्णय लेना उनकी आदत का हिस्सा है जिसे पानीपत के नागरिक बेखुबी समझते हैं।

बीते दो वर्षों में उपायुक्त ने भ्रष्ट-संस्कृति को चुनौती दी और विकास पहल को जमीन पर उतारा


विशेष बात यह है कि उनके अंदर सहनशीलता, चुनौतियों और असफलताओं को सहन करना, बहु-कार्य क्षमता एक साथ कई कार्यों को संभालना उनकी प्रबल कार्य क्षमता को दर्शाता है। सरकार के बड़े कार्यक्रम जनता समाधान शिविर में नागरिकों की समस्याओं को सुनना और उन्हें तुरंत हल करने की दिशा में सक्रियता दिखाना, उनके जनता-केंद्रित दृष्टिकोण का परिचायक है। जनता समाधान शिविर और सीएम विंडो से प्राप्त जन समस्याओं का समन्वय और तत्पर समाधान सुनिश्चित करना यह दर्शाता है कि वे लोगों के हितों को प्राथमिकता देते हैं । सबसे अहम बात यह है कि उनक द्वारा सरकारी संसाधनों को निजी कार्यों के लिए उपयोग न करना, भ्रष्टाचार-रोधी रवैया और ईमानदारी उनके कार्यशैली के मूल में हैं। गुजरे इन 2 वर्षो में उन्होंने ऐतिहासिक जिले को आदर्श जिला बनाने की दिशा में बहुत ही सराहनीय प्रयास किए हैं। उनके नेतृत्व में ट्रैफिक व्यवस्था में व्यापक सुधार हुआ है। उन्होंने तट बांधों को टूटने से बचने को लेकर जो कार्य किया उसका असर आस -पास के गांव पर साफ दिखाई पड़ता है। मैराथन, प्राण प्रतिष्ठा, कट खुलवाने, राह गिरी ,वन महोत्सव पर 1 लाख पौधारोपण, सीईटी और हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा का सफल आयोजन करने के अलावा स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को धरातल पर लागू करके अन्य जिलों को भी अच्छा करने का संदेश उन्होंने देने का प्रयास किया है।
नगर से अवैध यूनिपोल, निर्माण व कब्जों पर कड़ी कार्रवाई इस बात की पुष्टि करते हैं कि वे नियमों के प्रति कड़ा रुख अपनाते हैं। उनका विपरीत परिस्थितियों में ठंडे दिमाग से सोचकर निर्णय लेना, निरीक्षणों में तत्काल उपाय करना उनकी तीव्र सोच को प्रमाणित करते हैं। उन्होंने इन गुजरे 2 वर्षो में प्रभावशाली कम्युनिकेशन की भावना, उनका अधिकारी टीम-फॉर्मेशन, बैठक संचालन, बैठकों की समीक्षा इस बात का सबूत है कि वे नेतृत्व विकास और समन्वय को प्राथमिकता देते हैं। जनता समाधान शिविर व बैठकों में स्पष्ट, लिखित-शब्दों में संवाद करने की शक्ति, अधिकारियों और जनता दोनों के साथ भरोसा बनाती हुई नजर आती है। वास्तविकता यह है कि विकास प्रधान और योजनाबद्ध कार्यशैली किसानों के कल्याण के लिए योजनाओं का प्रचार-प्रसार, मेरी फसल मेरा ब्यौरा पंजीकरण जैसी पहल से यह सूचित होता है कि उनकी सोच नैतिक, जनता केंद्रीत, परिणाम-मुखी, टीम-लीडर और रणनीतिक रूप से योजनाबद्ध है। विदित रहे कि नगर निगम कार्यालय और अन्य सरकारी कार्यालयों में अचानक निरीक्षण कर गंदगी, अव्यवस्था और अनुपालन की कमी जैसे मसलों पर तत्काल सख्त कार्रवाई उनके द्वारा की गई है। निगम कार्यालय में अधिकारियों को एक सप्ताह में सुधार करने का अल्टीमेटम उन्होंने दिया। इसका असर अभी भी धरातल पर दिखाई देता है।
फैला उजियारा फाउंडेशन अध्यक्ष कुमारी रंजिता कौशिक कहती हैं कि उपायुक्त का बीते इन दो वर्षों में प्रशासनिक अनुशासन, औचक निरीक्षण, तत्काल सुधार, पारदर्शिता व नेतृत्व, स्पष्ट निर्देश, प्रेरक कार्यशैली के अलावा अधिकारियों में जवाबदेही, सार्वजनिक सुविधाएं, जल व्यवस्था, सफाई, नालों की सफाई पर जोर पूरा जोर रहा। नीति व निरंतरता, नियमित निर्देश, पुनर्मूल्यांकन, समयबद्ध निरीक्षण जैसे मूल्यों को उन्होंने स्थापित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
राहगिरी के संयोजक एडवोकेट संदीप जिंदल कहते हैं कि इन दो वर्षों में उपायुक्त ने जिले में प्रशासनिक अनुशासन, शहर को गंदगी से आजादी ,साफ-सफाई, नागरिक सुविधा और तकनीकी निगरानी व्यवस्था जैसी मजबूत नींव रखी है। उनकी कार्यशैली समाज के प्रति जिम्मेदारी, पारदर्शिता और निष्पक्षता की मिसाल रही है। उनके प्रयासों से दिल्ली से पानीपत तक प्रस्तावित सेमी-हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर बनाया जा रहा है, जिससे यात्रा समय घटकर लगभग 1 घंटे रहेगा, और दिल्ली-करनाल तक पूरा सफर सिर्फ 90 मिनट का होगा। यह परियोजना नगर प्रशासन एवं उद्योगपतियों के हित में रहेगी।
विदित रहे की उनके प्रयासों से जिले में कई ऐसे बुनियादी और बड़े इंफ्रास्टेकचर प्रोजेक्ट शामिल हैं जो आने वाले समय में नागरिकों के जीवन में परिवर्तन लाएंगे। वे मानते है यह पहल, यह व्यवस्था, खेल-सहायता और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की दिशा में काम करती है। उनकी 2 वर्ष की उपलब्धियों में 2 जी ईथनॉल बायो रिफाइनरी भी शामिल है जिससे पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन में मदद मिलेगी, नौकरियां सर्जन होंगी। ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट आईसीएल रिफाइनरी में एलएण्डटी के माध्यम से पहला ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और स्व‘छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।
विशेष बात यह है कि उनके मार्ग दर्शन में गांव-स्तर पर पर्यटन एवं एकीकृत विकास को प्रमुख रूप से बढ़ाया गया है। अमृत सरोवरों (तालाबों) का सौंदर्यीकरण और काला-आम युद्ध स्मारक को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रशासनिक दिशा-निर्देश दिए गए थे। यही नहीं जिले की पंचायतों में ‘नशा-मुक्त’ संदेश फैलाने के लिए साइक्लोथॉन-2.0 का आयोजन किया गया, जहां मुक्ति के विचार विमर्श और प्रतिनिधियों का सम्मानित भी किया गया।
प्रशासनिक उपलब्धियाँ और स्थानीय असर ने अपने प्रशासनिक दृष्टिकोण से ऐसी सोच जगाई है, जिसने केवल सरकारी मशीनरी को नहीं, बल्कि आम लोगों के दिलों को भी प्रेरित किया है। सरकारी योजनाओं सिर्फ कागजों तक नहीं रही बल्कि उन्हें गांव तक पहुंचाया गया। उन्होंने भ्रष्ट-संस्कृति को चुनौती दी और विकास पहल को जमीन पर उतारा। ग्लोबल नीतियों से सीख लेकर स्थानीय स्तर पर लागू करने की समझ उनमें है। पानीपत में डिजिटल, पारदर्शी और सामूहिक विकास का जो मॉडल बना है, वह उनकी सोच और कार्यशैली का परिणाम है। विशेष बात यह है की उनके प्रयासों से प्रशासन में न सिर्फ सिस्टम की गति बढ़ी है, बल्कि लोगों के विश्वास का स्तर भी ऊपर पहुंचा है। ऐसे प्रशासक ही देश को नई दिशा दे सकते हैं।

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