दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ का अग्रसेन कॉलेज गेट पर दिल्ली सरकार के खिलाफ़ धरना

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नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने दिल्ली सरकार के बारह वित पोषित कॉलेजों में पिछले कई वर्षों से चली आ रहे वित्तीय संकट को हल कराने, मंत्री आतिशी के पत्र को वापस लेने और नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर एवं कर्मचारियों की भर्ती शुरू करने की मांग को लेकर महाराजा अग्रसेन कॉलेज गेट पर धरना दिया जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षकों ने हिस्सेदारी की। गौरतलब है डूटा कई वर्षों से लगातार इन मांगों को लेकर दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल से गुहार लगा रहा है लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है। डूटा का यह चौथा क्लस्टर धरना था जिसमें डा भीमराव अम्बेडकर, महाराजा अग्रसेन, शहीद राजगुरु महर्षि वाल्मीकि, आचार्य नरेद्र देव, पी जी डी ए वी, रामानुजन, देशबंधु ,श्यामलाल कॉलेज , एल आई सी, एम एस सी और विवेकानंद कॉलेज के शिक्षकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।


सैंकड़ों शिक्षक सड़क पर उतरे


धरने पर मौजूद शिक्षकों ने दिल्ली सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के विरोध में जमकर नारेबाजी की । सैंकड़ों शिक्षक सड़क पर उतरे और जनता और छात्रों को दिल्ली सरकार वित पोषित बारह कॉलेजों में चल रहे वित्तीय संकट और अन्य समस्याओं की जानकारी दी और दिल्ली सरकार द्वारा इन कॉलेजों के अधिग्रहण करने ,स्व वित पोषित करने और अंबेडकर यूनिवर्सिटी में लेने की मंशा से अवगत कराया । शिक्षकों ने बताया कि दिल्ली सरकार इन बारह कॉलेजों की फंडिंग को रोक कर समस्या पैदा कर रही है।
डूटा अध्यक्ष प्री अजय कुमार भागी ने धरने पर बैठे शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली सरकार में आने के बाद से इन कॉलेजों का संकट शुरू हो गया था ।दिल्ली सरकार की नीयत इन कॉलेजों को अपने नियंत्रण में लेकर इनको स्व वित पोषित मॉडल में बदलना है। इसीलिए दिल्ली सरकार इनको दिल्ली यूनिवर्सिटी से डी एफिलिएट करना चाहती है। इसी लिए आतिशी ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था
डूटा अध्यक्ष ने कहा कि डूटा दिल्ली सरकार के निजीकरण और शिक्षा विरोधी नीतियों का लगातार विरोध करता आ रहा है और आगे भी करेगा। डूटा ने बारह कॉलेजों की फंडिंग और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल से भी गुहार को लगाई है। उपराज्यपाल ने इस मामले में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी उपराज्यपाल से मिलकर इस संकट के समाधान की मांग की। जिसके बाद शिक्षा सचिव ने तमाम जानकारी मांगी । वित्त सचिव ने भी आश्वासन दिया कि डी यू और यू जी सी के नियमानुसार शिक्षक पदों की संस्तुति दी जाएगी। यद्धपि कई कॉलेजों में मार्च का वेतन और अन्य भत्ते का फंड जारी नहीं किया गया है।
अप्रैल के पहले सप्ताह में उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक में छात्र फीस से वेतन देने की संभावना तलाश करने की बात कही गई थी जो इस बात का प्रमाण है कि स्व वित पोषण का प्रस्तावित पैटर्न ऑफ एसिस्टेंस दिल्ली सरकार बारह कॉलेजों पर लागू करना चाहती है।


पूर्ण और नियमित अनुदान की मांग


डूटा अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षक संघ दिल्ली सरकार की शिक्षा विरोधी और निजीकरण की नीतियों का पुरजोर विरोध करेगा और उन्हें लागू नहीं होने देगा। डूटा अध्यक्ष प्रो भागी ने मांग की है कि दिल्ली सरकार बिना शर्त इन कॉलेजों को पूर्ण और नियमित अनुदान जारी करे और इन कॉलेजों में शिक्षक और कर्मचारियों की स्थाई भर्ती की प्रक्रिया जल्द आरंभ करे। स्व वित पोषण के पैटर्न ऑफ एसिस्टेंस को वापस लिया जाए। आतिशी के वितीय अनियमितता और डीएफिलिएशन वाले पत्रों को तुरंत वापस लिया जाए।
अग्रसेन कॉलेज में डूटा धरने को कई शिक्षक नेताओं ने संबोधित किया और एक स्वर से दिल्ली सरकार की आलोचना की ।डूटा अध्यक्ष ने बताया कि जब तक शिक्षकों की मांग नहीं मानी जाती है तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। डूटा अध्यक्ष ने आतिशी के पत्रों की निंदा करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार सार्वजनिक शिक्षा संस्थानों को स्व वित पोषित संस्थानों में बदलना चाहती है जिसे डूटा कभी नहीं होने देगा। दिल्ली सरकार के छात्रों की फीस से शिक्षकों कर्मचारियों का वेतन देने के प्रयासों का पुरजोर विरोध किया जाएगा। दिल्ली सरकार की मंत्री ने अपने पत्र में 939 शिक्षक पदों को अवैध रूप से सृजित करने की बात की थी जिसके उत्तर में डूटा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा कहना न केवल निराधार है बल्कि इन कॉलेजों के कर्मचारियों और छात्रों की बांह मरोड़ने की कोशिश है।


शिक्षक पदों की संस्तुति और भर्ती शुरू करने की मांग-

डूटा अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली सरकार इन कॉलेजों को डिग्री देने वाले स्वायत कॉलेजों में बदलने की मंशा रखती है जिसे डूटा किसी भी सूरत में पूरा नहीं होने देगा। धरने के बाद सैंकड़ों शिक्षकों ने महाराजा अग्रसेन कॉलेज के आसपास स्थानीय इलाके में सड़क पर मार्च किया और दिल्ली सरकार के निजीकरण के प्रयास का विरोध करते हुए बारह कॉलेजों के लिए पूर्ण और नियमित अनुदान जारी करने और शिक्षक पदों की संस्तुति तथा तुरंत भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग के समर्थन में जोरदार नारेबाजी की।

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