भारत के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की राह में दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी भूमिका निभा रहा है -कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह

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जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज ने सतत विकास एवं जीवन पर्यन्त अधिगम पद्धति पर दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की सह-मेज़बानी की

दिल्ली, 19 जनवरी 2024 : जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय (NAAC A+) ने प्राचार्य प्रो.स्वाति पाल के कुशल निर्देशन में ‘भारतीय प्रौढ़ शिक्षा संगठन’ (IAEA) के सहयोग से दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की आधारशिला स्थापित की ।
विभाग की स्थापना के 40 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, “सतत विकास: आजीवन सीखने की राह” सम्मेलन 18, 19 और 20 जनवरी 2024 तक आयोजित किया जा रहा है । जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज सक्रिय रूप से इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है । इसमें विभिन्न देशों के शैक्षणिक संस्थान जैसे बेलारूस , उज्बेकिस्तान, इंडोनेशिया, लिथुआनिया, फिलीपींस, इटली और जॉर्जिया आदि नामचीन देश भाग ले रहे हैं ।
ऐसे समय में जब ‘सतत विकास” कई देशों की बढ़ती चिंता और फोकस का आधार बन गया है, ऐसे में जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज स्थिरता को केवल एक दर्शन के बजाय जीवन का आधार बनाने के महत्व की पुष्टि करता है। 1959 में निर्मित जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित करने वाला पहला और दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रमुख कॉलेज है और अपने पूरे महाविद्यालय परिसर में सौर पैनल स्थापित करने वाला दिल्ली विश्वविद्यालय का दूसरा प्रमुख कॉलेज है।

18 जनवरी 2024 को दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित उद्घाटन समारोह में, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज की प्राचार्य प्रो. स्वाति पाल ने इस अंतरराष्ट्रिय सम्मेलन की सह-मेजबानी पर प्रसन्नता व्यक्त की। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह, सतत शिक्षा और विस्तार विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफेसर राजेश कुमार, साउथ कैंपस के निदेशक प्रोफेसर श्री प्रकाश सिंह और सहित डीन प्रोफेसर बलराम पाणि भी उपस्थित थे।

इस तरह के सम्मेलन के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर स्वाति पाल ने कहा, “सम्मानपूर्ण जीवन आंतरिक रूप से एक स्थायी भविष्य से मूल रूप से जुड़ा हुआ है किन्तु इसके प्रति हमारी जिम्मेदारी कहां हैं ? सतत विकास को जीवन का आधार बनाने की जरूरत है। पृथ्वी और पारिस्थितिकी तंत्र के साथ हमारे संबंधों को फिर से परिभाषित करना महत्वपूर्ण हो गया है।“

अपने विचारों की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने विकास के संबंध में भारत द्वारा की जा रही प्रगति के बारे में बात की। उन्होंने कहा, “भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना चाहता है। उस संबंध में, जब स्थिरता की बात आती है तो उस दिशा में दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी भूमिका निभा रहा है। हालाँकि, हमें अभी भी व्यक्तिगत स्तर पर अपनी भूमिकाएँ निभाते रहने और अपने परिवेश के प्रति अधिक कृतज्ञता और देखभाल का अभ्यास करने की आवश्यकता है।“

19 जनवरी, 2024 को, सम्मेलन के दूसरे दिन, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज ने सम्मेलन की श्रृंखला को आगे बढाते हुए ,विभिन्न पेपर प्रस्तुतियों के प्रस्तुतीकरण की मेजबानी की । ये पेपर पूरे भारत में अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों और प्रोफेसरों द्वारा प्रस्तुत किए गए थे।

जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर स्वाति पाल ने कहा, “शिक्षा मंत्रालय ने इस कॉलेज को एक विशिष्ट परिसर होने हेतु सम्मानित किया है। ‘हरा’ शब्द प्रचलित होने से पहले हमारा कॉलेज हरा था। हम यहां पानी की एक भी बूंद बर्बाद नहीं करते हैं, और हम हर्बल गार्डन और बगीचों की बहुत अच्छी तरह से देखभाल करते हैं। लेकिन महाविद्यालय में सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों एवं संसाधनों का बंटवारा है, यही आपसी सामंजस्य और सोहार्द के साथ जीवित रहने का एकमात्र तरीका है।”

प्राचार्य प्रो.स्वाति पाल के गतिशील संबोधन के बाद, कॉलेज ने रिसर्च टूरिज्म डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, उज्बेकिस्तान और ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज, उज्बेकिस्तान के साथ दो समझौता ज्ञापनों (MOU) पर हस्ताक्षर किए। यह सहयोग इन विश्वविद्यालयों के मध्य निकट भविष्य में विभिन्न विषयों सहित सूचना और शैक्षणिक सामग्रियों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगा।

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