नई दिल्ली, नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय में प्रतिवर्ष दस प्रतिशत फीस वृद्धि की आलोचना करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार शिक्षा को स्व वित्त पोषित कर उसका पूर्णत: निजीकरण कर शिक्षा से अपना पल्ला झाड़ना चाहती है । संगठन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दिल्ली सरकार पिछले चार पांच साल से बारह कॉलेजों में जानबूझ कर वेतन एवं अन्य वित्तीय अनुदान प्रदान करने में निरंतर बाधाएं उत्पन्न करती आ रही है ताकि इनको अपनी यूनीवर्सिटी के अधीन लिया जा सके। एन डी टी एफ ने यू जी सी और दिल्ली विश्वविद्यालय से इन बारह कॉलेजों को तुंरत अपने अधीन लेने की मांग करते हुए इनमें शिक्षकों और कर्मचारियों की स्थाई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।
एन डी टी एफ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध बारह कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण के परिणामस्वरूप पच्चीस प्रतिशत सीटों की वृद्धि हुई लेकिन दिल्ली सरकार ने कोई अतिरिक्त संसाधन और वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई। नई शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय पाठ्यक्रम लागू करने से अतिरिक्त संसाधन और शिक्षक पद की आवश्यकता है लेकिन दिल्ली सरकार चुप्पी साधे हुए है। बारह कॉलेजों का बुनियादी ढांचा चरमरा रहा है लेकिन उसकी ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लैब , लाइब्रेरी और बिल्डिंग से लेकर अन्य संसाधनों के लिए कोई अतिरिक्त वितीय सहायता नहीं दी जा रही है।
एन डी टी एफ ने नई शिक्षा नीति के अनुसार चार वर्षीय उपाधि स्तरीय पाठ्यक्रम लागू होने पर अतिरिक्त संसाधनों समेत जरूरत अनुसार शिक्षक और गैर शिक्षक पद उपलब्ध कराने की मांग भी की है । एन डी टी एफ ने दिल्ली सरकार वित्त पोषित बारह कॉलेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों के प्रमोशन, एरियर, मेडिकल और अन्य बकाया तुंरत देने की मांग करते हुए इन कॉलेजों की बुनियादी सुविधाएं और संसाधनों को दुरुस्त करने की मांग की है। एन डी टी एफ ने आश्चर्य जताया कि शिक्षा के मुद्दों पर बार बार केंद्र पर सवाल उठाने वाले संगठन दिल्ली सरकार की स्व वित्त पोषित नीति और निजीकरण की कोशिशों पर चुप्पी साधे हुए हैं।
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