बंगाल महिलाओं के प्रति अपराधिक गतिविधि का बनता केंद्र

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नई दिल्ली (करूणा नयन चतुर्वेदी)बंगाल से कुछ दिनों से लगातार ही अप्रत्याशित घटनाएं सामने आ जाती हैं। लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चयनित सरकार वहां कार्यरत है । ममता बनर्जी खुद ही महिला मुख्यमंत्री वहां का प्रतिनिधित्व करती हैं। उसके बाद भी वहां महिलाओं के प्रति ऐसे दुष्कृत्य मामले हो रहे हैं। ‘नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो’ के अनुसार 2022 में बंगाल में 1,111 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। यही आंकड़े प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त हैं कि राज्य में महिलाओं की स्थिति क्या है।

बंगाल एकमात्र ऐसा स्थान है जोकि आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना करने के लिए प्रसिद्ध है। वहां का दुर्गा पूजा विश्व प्रसिद्ध है। ऐसे में वहां से यह ख़बर आना कि एक महिला चिकित्सक के साथ वीभत्स कार्य हुआ है। यह काफ़ी झकझोर देने वाला है। महिलाएं इस सृष्टि के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके साथ ऐसा जघन्य पाप किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक है।

बंगाल में यह पहली घटना नहीं है। कुछ महीनों पहले संदेशखाली की घटना ने भी राज्य के मुख पर कालिख पोती थी। फ़िर सोशल मीडिया पर तमाम वीडियो डाले गए जहां जानवरों से भी ज्यादा बेकार महिलाओं को पीटा जा रहा था। उसके बाद महिला चिकित्सक से हुई यह घटना काफ़ी निंदनीय है। यह देखकर काफ़ी खुशी होती है कि इसके विरोध में महिलाएं सड़कों पर उतर आयीं है। हालांकि यह संघर्ष केवल महिलाओं का ही नहीं है। इसके साथ पुरूषों को भी यह समझने की जरूरत है कि स्त्रियां कोई वस्तु नहीं है। जिनका कि वे उपभोग करके छोड़ दें। उन्हें यह भी समझने की ज़रूरत है कि यदि रक्तबीज रूपी पिशाच उनके आबरूह को गंदा करने की कोशिश करेगा, तो वही स्त्री चंडिका का रूप धर के उनका संहार करने में सक्षम है।

ममता बनर्जी खुद महिला हैं। उनको महिलाओं की वेदना समझना चाहिए। क्योंकि महिला ही यदि महिला के साथ नहीं खड़ी होगी तो गिद्ध दृष्टि वाले उनको अपने हवस का शिकार करने के लिए तो बैठे ही हैं। इसके वाला छद्म नारीवाद का चोला पहनने वालीं स्त्रियां ही विरोध प्रदर्शन को हवा नहीं देंगी तो यह दुष्कृत्य ऐसे ही होते रहेंगे।

अंत में बस इतना ही कि अगर आप सभ्यता का चोला पहने हैं। अपने देश में महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय पर नहीं बोलते हैं तो आप भी बराबर के अपराधी हैं। पार्टी ,राजनीति, विचारधारा से ऊपर उठकर मणिपुर, संदेशखाली, हाथरस और ऐसे तमाम कृत्यों की निंदा करें। इसलिए नहीं की वह आपका व्यक्तिगत मामला नहीं है। बल्कि इसलिए की आपके अंदर मानवीय संवेदना जीवित है। आपके घर परिवार में स्त्रियां हैं। जो यह गर्व से कह सकें कि आप उस श्रेणी का हिस्सा नहीं हैं। जोकि महिलाओं को जीव कम पशु ज्यादा समझते हैं।

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