भीमराव अम्बेडकर कॉलेज में हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों के लिए एक विशेष व्याख्यान का आयोजन

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नई दिल्ली, भीमराव अम्बेडकर कॉलेज के हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों के लिए एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान में वरिष्ठ पत्रकार सुधीर सलूजा ने बताया कि भारत एक अनोखा राष्ट्र है, जिसका निर्माण विविध भाषा, संस्कृति, धर्म तथा सांस्कृतिक विकास के समृद्ध इतिहास द्वारा एकता के सूत्र में बाँध कर हुआ है। एक साझा इतिहास के बीच आपसी समझ की भावना ने विविधता में एक विशेष एकता को सक्षम किया है, जो भारतबोध की एक लौ के रूप में सामने आती है, जिसे भविष्य में पोषित और अभिलाषित करने की आवश्यकता है।

समाचार पत्रों का, मीडिया का काम समाचार पहुंचाना है, लोक शिक्षा का है, मीडिया का जितना अधिकार आलोचना का है, उतना ही बड़ा दायित्व सकारात्मक खबरों को सामने लाने का भी है। बीते वर्षों में मीडिया के एक बड़े वर्ग ने राष्ट्रहित से जुड़े, समाज हित से जुड़े अभियानों को बढ़-चढ़कर अपनाया है, उसका सकारात्मक प्रभाव आज देश अनुभव कर रहा है।

उन्होंने विद्यार्थियों को मीडिया के इतिहास और न्यू मीडिया की विकास यात्रा के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान काल में पत्रकारिता में विशेषज्ञता की आवश्यकता है। आज सूचना का समय नहीं है। सूचना मुफ्त में सोशल मीडिया पर उपलब्ध है ।आज हमें खबर की व्याख्या और विश्लेषण करना होगा। साथ ही क्षेत्रीय भाषा की ताकत को समझाते हुए, क्षेत्रीय भाषा में पत्रकारिता करने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि आप जितनी अधिक भाषाएँ जानते हैं, उतने अधिक लोगों के साथ आप प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम होंगे। आपका दायरा उतना ही बढ़ जाता है। क्षेत्रीय भाषाओं में पत्रकारिता भी नए अवसर प्रदान करती है। क्षेत्रीय भाषाएँ स्थानीय संस्कृतियों, परंपराओं और पहचान को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।क्षेत्रीय भाषाएँ विशिष्ट क्षेत्रों या समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और पहचान से निकटता से जुड़ी हुई हैं। वे अद्वितीय रीति-रिवाजों, परंपराओं, लोककथाओं, साहित्य और मौखिक इतिहास को संरक्षित और प्रसारित करती हैं जो किसी देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता में योगदान करते हैं।क्षेत्रीय भाषाएँ उन लाखों लोगों के लिए संचार के साधन के रूप में काम करती हैं जो आधिकारिक या राष्ट्रीय भाषा में पारंगत नहीं हो सकते हैं।क्षेत्रीय भाषाएँ अक्सर बोलने वालों के बीच अपनेपन, भावनात्मक लगाव और गर्व की भावना पैदा करती हैं। वे किसी की जड़ों, विरासत और स्थानीय समुदाय के साथ गहरा संबंध बढ़ाते हुए , व्यक्तिगत और सामूहिक पहचान को मजबूत करती हैं।

उन्होंने वर्तमान समय में सोशल मीडिया के बदलते हुए परिदृश्य में इंटरनेट और उसके विविध आयामों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि आजकल इंटरनेट और सोशल मीडिया हमारे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है । भारत डिजिटल होने की राह पर है। राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, प्रशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन, संगीत और कला से लेकर साहित्य आदि की दुनिया को सोशल मीडिया बदल रहा है।देश में सोशल मीडिया पर समय बिताने की अवधि बढ़ती जा रही है। बच्चे ,युवा , प्रौढ़,वृद्ध और महिला कोई भी आज सोशल मीडिया से अछूता नहीं है। सोशल मीडिया ज्ञान, मनोरंजन और जागरूकता के साथ नए सामाजिक समीकरण बना रहा है। ऐसे में हमें एक जागरूक पत्रकार की भूमिका निभानी है और फेक न्यूज़ को लाइक व शेयर करने से बचना है।
व्याख्यान के अंत में पत्रकार सुधीर सलूजा ने सोशल मीडिया को लेकर विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।

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