चुग ने भारत के स्वर्णिम युग की पुरातन भाषा ‘पाली’ के महत्व पर डाला प्रकाश

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मेरठ, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री तरूण चुग ने मेरठ के स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में पाली भाषा और विपश्यना से संबंधित तीन नए पाठ्यक्रमों के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने वक्तव्य में चुग ने देशज भाषाओं, विशेष रूप से पाली भाषा, के महत्व पर बल दिया और भारत की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक धरोहर को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस ऐतिहासिक फैसले की सराहना की, जिसमें 3 अक्टूबर 2024 को पाली सहित पांच भाषाओं को “शास्त्रीय भाषा” का दर्जा दिया गया। चुग ने कहा कि यह निर्णय न केवल इस भाषा की गरिमा को पुनर्स्थापित करता है, बल्कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के साथ भारत के गहरे आध्यात्मिक संबंध को भी पुनर्जीवित करता है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के विज़न के कारण आज लाफिंग बुद्धा फिर से मुस्कुरा रहा है।”

चुग ने भारत के गौरवशाली विरासत पर प्रकाश डाला और कहा कि यह भगवान बुद्ध की भूमि है और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विश्व में भगवान बुद्ध के संदेशों का प्रचार-प्रसार सराहनीय है। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति जी के थपलियाल की सराहना करते हुए छात्रों से इस अवसर का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए अनुरोध किया,उन्होंने कहा कि पाली और विपश्यना के अध्ययन में अपार संभावनाएं हैं जो समाज में शांति और जागरूकता लाने में सहायक हो सकती हैं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के चेयरपर्सन डॉ. अनिर्बान गांगुली ने कहा कि यह बहुत ही हर्ष का और ऐतिहासिक अवसर है कि पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। पाली भारत और विश्व के बीच सभ्यतागत कड़ी है। इसे संरक्षित और बनाए रखना हमारा सामूहिक जिम्मेदारी है।

भिक्षु डॉ काचयान श्रमण, भिक्षु डॉ चंद्रा वाइस चांसलर डॉ जी.के थपलियाल, डॉ हीरो हितों एवं कई अन्य बुद्धिस्ट संतो सहित विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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