महाराष्ट्र के 57वें निरंकारी संत समागम की तैयारियां उत्साहपूर्वक संपन्न

Estimated read time 1 min read

नागपुर:- महाराष्ट्र के 57वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का भव्य रूप में आयोजन दिनांक 26, 27 एवं 28 जनवरी को परम् पूजनीय सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी के पावन सान्निध्य में सेक्टर 14 एवं 15, पतंजली फूड फैक्ट्री के पास, मिहान, सुमठाणा, नागपुर (महाराष्ट्र) के विशाल मैदान में होने जा रहा है।

इस विशाल आध्यात्मिक संत समागम को सफल बनाने हेतु विगत् 24 दिसंबर, 2023 से ही विधिवत् रूप में स्वैच्छिक सेवाओं का आरंभ हो गया है उसके उपरांत से ही विदर्भ क्षेत्र के अतिरिक्त समूचे महाराष्ट्र से भी हजारों की संख्या में निरंकारी सेवादल के सदस्य, स्वयंसेवक एवं श्रद्वालु भक्त बड़ी ही लगन, निष्ठा और निष्काम भावना से समागम स्थल पर पहुंचकर तैयारियों में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं।

भक्ति और सेवा के इतिहास से रंजित नागपुर नगरी में प्रथम बार महाराष्ट्र के प्रांतीय संत समागम को आयोजित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है जैसा कि सर्व विदित ही है कि निरंकारी संत समागम एकत्व, प्रेम और विश्वबन्धुत्व का एक ऐसा अनुपम स्वरूप प्रदर्शित करता है जिसमें केवल निरंकारी भक्त ही नहीं अपितु परमात्मा में आस्था रखने वाला प्रत्येक मानव सम्मिलित होकर सतगुरु की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन को सार्थक बना रहा है।

इस दिव्य संत समागम की तैयारियां अत्यंत उत्साह के साथ की जा रही है। बच्चे, युवा, वृद्व सभी हर्षोल्लास के साथ बढ़चढ़कर तनमयतापूर्वक इन सेवाओं में लगे हुए हैं। कहीं पर मैदानों को समतल किया जा रहा है तो कहीं समागम स्थल की स्वच्छता एवं सड़क निर्माण इत्यादि पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त भक्तों द्वारा समागम स्थल पर सत्संग पंडाल, रिहायशी टेंट, शामियानों की सुंदर नगरी की व्यवस्था में सहायता करना इत्यादि जैसे कार्य भी कुशलतापूर्वक किए जा रहे हैं। भक्ति भाव से परिपूर्ण सभी श्रद्धालु भक्त सेवा को अपना परम् सौभाग्य मानकर उसे मर्यादानुसार निभा रहे हैं क्योंकि उनके लिए सेवा कोई मजबूरी अथवा बन्धन नहीं यह तो आनंद प्राप्ति का एक पावन सुअवसर है जिसके लिए वह सतगुरु का हृदय से आभार व्यक्त कर रहे हैं।

महाराष्ट्र के वार्षिक निरंकारी संत समागम में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विभिन्न संस्कृति एवं सभ्यताओं का एक ऐसा अनुपम संगम दृश्यमान होगा जिसमें सम्मिलित होकर सभी श्रद्धालु भक्त एवं प्रभुप्रेमी सज्जन आलौकिक अनुभूति को प्राप्त करेंगे। अतः हम यह कह सकते है कि इस दिव्य संत समागम का उद्देश्य मानवता एवं भाईचारे की सुंदर भावना को दृ़ढ़ता प्रदान करना है जो केवल ब्रह्मानुभूति से जुड़कर ही संभव है।

0Shares

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours